सफाईकर्मी को सुरक्षा उपकरण से वंचित करना उसके जीने के अधिकार का हनन: HRC

BHOPAL NEWS | यदि नगरीय निकाय या कोई भी ऐजेंसी सफाईकर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराती तो इसे कर्मचारी के जीने का अधिकार छीन लेना माना जाएगा और ऐसी स्थिति में संबंधित जिम्मेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने ऐसा ही एक फैसला सुनाया है जिसमें नगरपालिका शिवपुरी को दो सफाई कर्मियों की मृत्यु पर दस-दस लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने के निर्देश दिए हैं। 

आयोग ने शिवपुरी में सीवर लाइन के मेन होल की सफाई करते समय दो सफाई कर्मियों की मौत को अमानवीय मानते हुए उनके परिजनों को 10-10 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने की अनुशंसा की है। साथ ही कहा है कि मृतक कल्ला पुत्र तेज सिंह वाल्मीक एवं राजू उर्फ हल्के पुत्र इतवारी वाल्मीक को नगरीय निकाय द्वारा सही उपकरण उपलब्ध न कराकर सुरक्षा प्रावधानों का उल्लंघन किया।

हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन एवं उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 का जिक्र करते हुए आयोग ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को अनुशंसा का पालन कर अवगत कराने को कहा है।

आयोग ने यह भी कहा है कि प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में उक्त अधिनियम की धारा-3 से धारा-8 तक के सभी प्रावधानों के संबंध में दो माह में प्रशिक्षण देकर आयोग को अवगत कराएं। इसके अलावा इस अधिनियम के प्रचार-प्रसार करने के निर्देश भी दिए हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में हाथ से मैला उठाने की प्रथा समाप्त करने व ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए कानून बनाया गया था। आयोग ने कहा कि वह इस कानून को कठोरता से लागू कराना चाहता है ताकि किसी सफाई कर्मी की इस तरह असमय और अमानवीय मौत न हो।

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