HEART ATTACK: 5000 का स्टेंट 1 लाख में लगाते हैं अस्पताल

नई दिल्ली। दिल के मरीजों की जान बचाने के लिए धमनी में लगाए जाने वाले स्टेंट की लागत और मरीजों से वसूली जाने वाली कीमत को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने रिपोर्ट जारी कर बताया है कि स्टेंट को लागत से 10 गुना अधिक मुनाफा कमाकर मरीजों को लगाया जा रहा है। यानी 8000 रुपए लागत वाला स्टेंट मरीजों को 80000 रुपए में लगाया जा रहा है।

अस्पताल का मार्जिन सबसे ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक, स्टेंट व्यापार में विभिन्न स्तरों पर खिलाड़ी तगड़ा मुनाफा कमाते हैं। मैन्युफैक्चरिंग के बाद वितरक, वितरक से अस्पताल और फिर अस्पताल से मरीज तक पहुंचते-पहुंचते इसकी कीमत करीब 10 गुना तक बढ़ जाती है। इस खेल में मैन्युफैक्चरर्स का मार्जिन तुलनात्मक रूप से कम है वहीं वितरक 13 फीसदी से 200 फीसदी तक का मार्जिन रखते हैं। सबसे अधिक कीमत अस्पताल रखते हैं। उनका मार्जिन 110 से 650 फीसदी तक होता है।

एनपीपीए ने यह रिपोर्ट विभिन्न स्टेंट कंपनियों के अांकड़ों के आधार पर तैयार की है। हालांकि जब इनकी कीमत तय करने की बात आई तो निर्माता कंपनियों समेत अस्पताल और कार्डियोलॉजिस्ट्स ने ही स्टेंट की कीमत नियत करने की बात कही है।

असल कीमत 5 हजार से 8 हजार रुपए
स्थानीय कंपनी को एक ड्रग-एल्युटिंग स्टेंट बनाने में करीब 8 हजार रुपए लागत आती है। भारत में 95 फीसद मरीजों में यही स्टेंट लगाया जाता है। देश में इंपोर्टेड स्टेंट भी उपलब्ध हैं। इसकी कीमत 5 हजार रुपए से शुरू है।

अगले माह तक तय हो सकती हैं कीमतें
एनपीपीए विभिन्न कार्डियक स्टेंट के दाम को रेगुलेट करने के लिए फॉर्मूले पर काम कर रहा है। उसने सभी संबंधित पक्षों की राय मांगी है। संभावना है कि एनपीपीए फरवरी के मध्य तक ड्रग (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर 2013 के नियमों के अनुसार कीमतों की लिमिट तय कर देगा।

आर्टरी को खोलने के लिए इस्तेमाल होता है स्टेंट
कार्डियक स्टेंट पतले तार की तरह होता है। इसका इस्तेमाल दिल तक खून ले जाने वाली आर्टरी को खोलने के लिए किया जाता है। इसकी सबसे ज्यादा जरूरत बाईपास सर्जरी और किडनी से जुड़ी समस्याओं में पड़ती है।

हाई कोर्ट ने दिया था आदेश- एक मार्च 2017 तक केंद्र तय करे कीमत
मालूम हो, दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर 2016 को केंद्र सरकार को 1 मार्च 2017 तक स्टेंट का अधिकतम बिक्री मूल्य तय करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह आदेश बीरेंद्र सांगवान की याचिका पर दिया था। दरअसल, 19 जुलाई 2016 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर स्टेंट को राष्ट्रीय आवश्यक दवा सूची में शामिल किया था। इससे स्टेंट सस्ता होने के साथ ही इसकी कीमत भी तय होना थी। ऐसा न होने पर ही सांगवान ने हाई कोर्ट से अपील की थी।
Tags

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !