लेकिन विवाद होने के तुरंत बाद डॉ. साब दलित हो गए

धर्मेंद्र पेगवार। क्या सीहोर के मामले में डॉक्टर की गलती नहीं। चूँकि सीहोर मप्र के मुख्यमंत्री का गृह जिला है। वहां जो कुछ चल रहा है वो पूरे प्रदेश की हकीकत है। सवाल ये है कि जसपाल अरोरा सरकारी अस्पताल गए क्यों? मेरी जानकारी के अनुसार एक बच्चा यौन उत्पीड़न का शिकार हुआ था। डॉक्टर दो घण्टे से उसका मेडिकल नहीं कर रहे थे। ये बच्चा भी दलित वर्ग का है। किसी परिजन ने अरोरा को जानकारी दी, वे अस्पताल गए। डॉक्टर से बहस हुई, डॉक्टर के अपने तर्क थे कि फलां की ड्यूटी थी ये वो...

जाहिर है अरोरा ही क्यों किसी को भी बच्चे पर तरस आता। कहासुनी हुई। मामला थाने पहुंचा, थाने मैं सीहोर के 500 से ज्यादा नागरिक थे, जो डॉक्टर की गलती बता रहे थे। वहां दोनों पक्षों में समझोता हो गया। अब हुई राजनीति की शुरुआत। दरअसल cm के गृह जिले में बीजेपी खत्म है। वहाँ निर्दलीय विधायक है जिन्होंने कई मुद्दों पर बीजेपी को समर्थन दिया, मूल रूप से वे कांग्रेसी है, और कांग्रेस से बागी होकर ही चुनाव जीते थे। दूसरे पूर्व विधायक भी कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय जीते थे, बाद में भाजपाई हो गए। नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती अरोरा के पति जसपाल भी मूल रूप से कांग्रेसी है। अब सीहोर में पुराने भाजपाई घर बैठे हैं।

निर्दलीय विधायक को बीजेपी के बड़े नेताओं ने 2018 के चुनाव में बीजेपी से टिकट का भरोसा दिया है। वे पूरी तरह साधन सम्पन्न हैं। बीजेपी के कई नेता इस सम्पन्नता से काफी प्रभावित हैं। उनका बेटा अमेरिका में एक बड़े नेता के बेटे के साथ पढता है। अभी सरकार फील गुड़ में है उसने पूरे सीहोर केवल 35 पार्षदों जिनमे कांग्रेसी भी शामिल है, उनकी बात नही सुनी। दरअसल ये लढाई बीजेपी कांग्रेस य बीजेपी की गुटबाजी की नहीं है। डॉक्टरों की तानाशाही की है।

सरकार मदमस्त है, कटनी में हवाला मामले में संजय पाठक का कुछ बिगाड़ नही पाई तो अरोरा के रूप में उसे गरीब की गाय नजर आ गई। मैं अरोरा से कभी मिला नही, न कोई हिमायत कर रहा हूँ। सवाल ये है कि जनता को भगवान् मानने वाले मुख्यमंत्री जी के जिला अस्पताल में क्या हालात हैं। क्या डॉ से कोई सवाल हुआ कि बच्चे की mlc में देरी क्यों हुई।

अब बीजेपी के एक धड़े के दबाव में अरोरा पर ईनाम भी घोषित हो गया। वो ऑडियो मैंने भी सुना है उसमे दलित उत्पीड़न की बात तो है नहीं, लेकिन विवाद होने के तुरंत वाद डॉ साब दलित हो गए। सरकार क्या निरंकुश डॉक्टरों को बचाने, अव्यवस्था पर पर्दा डालने और कुछ लोगो को खुश करने के लिए क्या सीहोर की जनता की आवाज को अनसुना कर रही है। 
मुझे लगता है कि मप्र में निरंकुशता का 2002 का इतिहास दोहराया जा रहा है।
पत्रकार श्री धर्मेंद्र पैगवार भोपाल में दैनिक भास्कर को सेवाएं दे रहे हैं। यह उनके व्यक्तिगत विचार हैं जो फेसबुक से लिए गए। 

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