आरक्षण, जातिगत आधार पर होना चाहिए या आर्थिक आधार पर: देश भर में बहस

नईदिल्ली। आरक्षण का विषय अब तल्ख होता जा रहा है। पहले केवल आरक्षण की मांग करने वाले सड़कों पर आते थे परंतु अब आरक्षण का विरोध भी उतना ही तीखा होता है। आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य के बयान का जहां तीखा विरोध हो रहा है वहीं समर्थन भी उतनी ही दृढ़ता से दिखाई दे रहा है। भाजपा के भीतर भी 2 वर्ग हो गए हैं। कमावेश पूरा देश 2 हिस्सों में बंट गया है। लोग सोशल मीडिया पर अपने अपने विचार रख रहे हैं। इस बार मुद्दा आरक्षण होना चाहिए या नहीं, यह नहीं है बल्कि 'जातिगत आधार पर आरक्षण होना चाहिए या आर्थिक आधार पर' इस विषय पर बहस चल रही है। 

इस बीच आरएसएस के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने यहां संवाददाताओं को बताया कि जब तक अपने देश में जातीय आधारित, जन्म आधारित, भेदभाव असमानता रहेगी तब तक आरक्षण की सुविधा रहनी चाहिए। यही बात उन्होंने जयपुर साहित्य महोत्सव में कही थी।

उन्होंने कहा, मैने वहां भी यही कहा था कि जब तक जन्म आधारित, जातीय आधारित और अन्य सामाजिक असमानता रहेगी तो संविधान के अनुसार दिया गया आरक्षण जारी रहना चाहिए और आरएसएस उसका पूरी तरह से समर्थन करता है। यही आरएसएस का पक्का रूख है, इसमें कोई विवाद नहीं है।

उन्होंने कहा कि साहित्य महोत्सव में मनमोहन वैद्य ने भी सत्र के दौरान प्रश्न का उत्तर देते समय जो कहा था उसका मतलब था कि संविधान में जातीय आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। संवाददाता सम्मेलन में वैद्य ने किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया।

गौरतलब है कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा था कि आरक्षण के नाम पर लोगों को सैकड़ों साल से अलग करके रखा गया है जिस खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी है। उन्होंने कहा कि आरक्षण को खत्म करना होगा क्योंकि इससे अलगाववाद को बढ़ावा मिला है।

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