NEW DELHI | जज की भूमिका न्यायिक संतुलन बनाने की है, न्यायिक प्रक्रिया को संकट में डालने की नहीं। हैदराबाद हाई कोर्ट के एक फैसले को खारिज करते सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने अपने न्यायिक अधिकार का प्रयोग करते हुए विभिन्न दंगों के मामले में पुलिस को तीन आरोपियों को गिरफ्तार न करने और जांच जारी रखने का निर्देश दिया था।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में तेलगांना सरकार की अपील पर सुनवाई की। तेलंगाना सरकार ने याचिका में पूछा था कि क्या हाई कोर्ट को यह अधिकार है कि वह जांच जारी रखते हुए सुरक्षा एजेंसी को किसी आरोपी की गिरफ्तारी से रोक सके।
पीठ ने कहा, 'ऐसे राज्य जहां सीआरपीसी की धारा 438 लागू है, वहां हाई कोर्ट को याचिका की सुनवाई के दौरान संयम का सुझाव दिया गया है। किसी मामले में अगर अदालत को जरूरी लगता है तो जांच को रोक देना और कोई अंतरिम आदेश जारी करना अदालत के न्यायिक क्षेत्र में आता है। लेकिन, हैदराबाद हाई कोर्ट का फैसला समझ से बाहर है।' सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायाधीश अमिताभ रॉय भी शामिल थे।