धृतराष्ट्र हो गये हैं शिवराज, नैतिकता भूल चुके हैं

अरूण यादव/भोपाल। शुचिता और सदाचरण का पाठ पढ़ाने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कटनी हवाला कांड मामले में पूरी तरह से धृतराष्ट्र की भूमिका में हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान स्वयं नैतिकता भूल चुके हैं। प्रतिपक्ष को वे मानते नहीं। अहंकार में इस कदर डूबे हुए हैं कि उन्होंने आईना तोड़कर कूड़ेदान में डाल दिया है। यही वजह है, प्रतिपक्ष के अलावा अपने ही दल के लोगों द्वारा दी जा रही उचित सलाह को भी वे मानने को तैयार नहीं हैं। 

प्रतिपक्ष के साथ मुख्यमंत्री की निगाह में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की भी कोई अहमियत नहीं रही है। शायद यही वजह है कि वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सदस्य श्री रघुनंदन शर्मा की सलाह पर भी उन्होंने गौर फरमाना उचित नहीं समझा है। पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय विश्नोई और सरताज सिंह ने भी मुख्यमंत्री के दो चश्मे होने की ओर कटनी हवाला कांड को लेकर दिये बयान में इशारा किया है। श्री विश्नोई ने तो बहुत साफ लफ्जों में कहा है, उनसे नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री ने इस्तीफा लिया था। 

भोपाल और प्रदेश से लेकर केन्द्र की भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की कोई अहमियत नहीं बची है। केन्द्रीय नेता, पार्टी को खून-पसीने से सींचने वाले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी को पोस्टर तक से बाहर कर चुके हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत वे तमाम नेता हाशिये पर पहुंचा दिये गये हैं जिन्होंने भाजपा को भाजपा बनाया। 

इधर मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री चौहान केवल बड़ी-बड़ी बातें भर करते हैं। यहां भी भाजपा के पितृपुरूष कुशाभाऊ ठाकरे के आदर्शों को बुरी तरह पलीता लगाया जा रहा है। इन हालातों में प्रदेश भाजपा के पुराने नेता पार्टी को अब पाक-साफ नहीं रख पायेंगे, यह बात तय हो चुकी है।
लेखक श्री अरुण यादव मप्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। 

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