कटनी कालाधन कांड: सबकुछ मैनेज हो गया, अब कोई परेशानी नहीं

भोपाल। एसपी गौरव तिवारी के अचानक हुए तबादले के बाद गर्माया कटनी कालाधन कांड अब राख हो गया है। उसमें थोड़ी सी भी आंच नहीं बची। बताया जाता है कि इस मामले को दबाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए गए। व्यापमं में हुईं गलतियों को इस मामले में दोहराने की गलती नहीं की गई और अंतत: सबकुछ मैनेज हो गया, अब कोई परेशानी नहीं है। 

बता दें कि मात्र 6 दिनों में इस मामले में दिल्ली तक को सुलगा दिया था। जिस कालाधन के खिलाफ सारा देश एकजुट है, जिस कालाधन के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी अभियान चला रहे हैं। 2-5 करोड़ के मामले भी खंगाले जा रहे हैं। ढाई लाख से ज्यादा वाले लाखों लोगों को नोटिस भेजे गए। हजारों छापामार कार्रवाईयां हो रहीं हैं। इन सबके बीच कटनी में 500 करोड़ के मनी लांड्रिंग का मामला सामने आया। बिना तमाशे के कटनी पुलिस ने जांच की और उन तमाम खातों को खोल निकाला जो फर्जी तरीके से खोले गए। जिनमें कालाधन जमा कराया गया और पुराने नोटों को नए नोटों में बदलने का षडयंत्र रचा गया। 

एक के बाद एक जब धरपकड़ शुरू हुई तो लिंक शिवराज सिंह के प्रिय राज्यमंत्री संजय पाठक तक जा पहुंची। बस यहीं से बवाल शुरू हो गया। रातों रात एसपी का तबादला कर दिया गया। विरोध में बाजार बंद हो गए। बवाल मचने लगा। 6 दिन तक कटनी में प्रदर्शन चला। आग पूरे प्रदेश में फैल गई और लपटें दिल्ली तक पहुंची। दिल्ली से संदेश आया, मामला मैनेज करो नहीं तो मंत्री का इस्तीफा कराना होगा। 

बस यहीं से सारे मामले में यूटर्न ले लिया। हर स्तर पर मैनेज किए जाने का खेल शुरू हुआ। धीरे धीरे सब चुप होते चले गए। जो नहीं हो रहे थे उन्हे दूसरे तरीकों से चुप करा दिया गया। कांग्रेस ने इस मामले में प्रदेश व्यापी आंदोलन का ऐलान कर दिया था। भोपाल में प्रदर्शन किया तो प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का सिर फोड़ दिया गया। आप इसे अरुण यादव का डर कहें या कोई राजनीति, लेकिन लट्ठ पड़ते ही आग भड़कने के बजाए शांत हो गई। 

बयानबाजियों के दौरान इसे 'कटनी हवाला कांड' कह दिया गया। दरअसल यह कालाधन के शोधन का अपवित्र धंधा था। 'हवाला' शब्द को लेकर सरकारी फाइलों को भी उलझा दिया गया। मंत्री संजय पाठक ने अपने समर्थन में विशाल रैली का आयोजन किया और उसके फोटो/वीडियो दिल्ली भिजवाए गए। अब सबकुछ शांत हो गया है। 500 करोड़ का कालाधन फर्जी खातों में जमा है, शायद धीरे से सभी खाते खाली भी हो जाएंगे। वो सारे एक्टिविस्ट अब चुप हैं जो कालाधन के खिलाफ, बेईमानों को जेल भेजने के लिए देशभक्ति के गीत गाया करते थे। 

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