बजट पहले पेश करने से कौन सा कानून टूट जाएगा: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

नई दिल्ली। चली आ रही परंपरा को तोड़ते हुए 5 राज्यों के चुनाव से पहले 1 फरवरी को बजट पेश किए जाने की प्रक्रिया को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वो बताएं कि यदि सरकार ऐसा करती है तो कौन सा नियम है जो टूट जाएगा। कौन सा प्रावधान किसी भी सरकार को ऐसा करने से रोकता है। वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाखिल की है।

शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि ढूंढ़े पर भी ऐसा कोई कानून नहीं मिलता जो सरकार को ये फैसला लेने से रोकता हो। अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि बजट को फरवरी में पेश करने से संविधान और कानून के कौन से प्रावधान का उल्लंघन होगा। एम एल शर्मा को अगली सुनवाई में जवाब दाखिल करना होगा।

याचिका में शर्मा ने 2017-18 के बजट को 1 फरवरी को पेश करने के फैसले को गलत बताया है. उन्होंने अदालत से मांग की है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की वोटिंग पूरी होने तक सरकार को बजट पेश करने से रोका जाए. आमतौर पर बजट फरवरी महीने के आखिर में पेश होता आया है।

सरकार का रुख
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि बजट में पारित किए गए नए नियमों, नीतियों और स्कीमों को नोटिफाई करने में काफी वक्त लगता है। बजट फरवरी के अंत में पेश होने की वजह से नोटिफिकेशन 1 अप्रैल तक अक्सर नहीं हो पाता इसलिए बजट को 1 फरवरी को पेश करने का फैसला लिया गया है। 

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