जल्लीकट्टू सवाल उठाने वाले बकरीद पर चुप क्यों हो जाते हैं: कैलाश विजयवर्गीय

भोपाल। तमिलनाडु के परंपरागत खेल जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ पूरा तमिलनाडु मरीना बीच पर उमड़ पड़ा है। सियासतदां से लेकर सितारे तक वहां डटे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि जल्लीकट्टू पर एक हफ्ते तक कोई फैसला न सुनाए, जिसे कोर्ट ने मान लिया है।

दरअसल, जल्लीकट्टू के समर्थन में रजनीकांत सहित सभी तमिल स्टार और कई हिंदू संगठन भी आ चुके हैं। वहीं बीजेपी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर लिखा है कि जल्लीकट्टू का विरोध करने वाले बकरा ईद पर खामोश क्यों हो जाते हैं। ऐसे ही लोग सूखी होली और बिना पटाखों की दिवाली की भी बात करते हैं... आखिर क्यों???

श्रीश्री रवि शंकर और सदगुरु जग्गी वासुदेव ने तमिलनाडु के लोगों का समर्थन किया है और बैन हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा, 'जल्लीकट्टू पोंगल का अहम हिस्सा है। पोंगल तमिलनाडु में होली और दिवाली से बड़ा त्योहार है।' उन्होंने ट्विटर पर लिखा, मैं जल्लीकट्टू के सपोर्ट में हूं और प्रदर्शनकारियों से आंदोलन को शांति से जारी रखने की अपील करता हूं। धैर्य बनाए रखें, सही तथ्यों के साथ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है।'

वहीं सदगुरु ने कहा, 'जल्लीकट्टू जानवरों को डेडिकेटेड फेस्टिवल है, लोगों को इसे कल्चरल तरीके से मनाना चाहिए। बैन हटना चाहिए।' 'जल्लीकट्टू सांडों की लड़ाई नहीं है, यह उन्हें गले लगाने का खेल है, इस दौरान यह देखा जा सकता है कि सांड कैसे खेलते हैं, कैसे इस खेल में खुद को शामिल करते हैं।'

वहीं सुप्रीम कोर्ट एक हफ्ते तक कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं करने पर सहमत हो गया है। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सीजेआई जस्टिस खेहर से इसकी अपील की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों में दखल देने से इनकार कर दिया था। चीफ जस्टिस और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था कि यह मुद्दा मद्रास हाईकोर्ट के सामने उठाया जा सकता है।

गौरतलब है कि तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर 2014 से बैन है। पिछले साल जयललिता ने केंद्र से जल्लीकट्टू पर बैन हटाने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने 8 जनवरी 2017 को एक नोटिफिकेशन जारी कर पाबंदी हटा दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के फैसले को चैलेंज किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है। राज्य सरकार ने मांग की थी सुप्रीम कोर्ट पोंगल के पहले इस पर डिसीजन दे दे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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