नौकरियां उन्हे दे दीं, अब वोट हमसे मत मांगना

मप्र में आयोजित हो रही सभी प्रवेश परीक्षाओं में अन्य सभी राज्यो के छात्र सम्मलित हो सकते है। कुछ ही गिनती की सीटों के लिए सभी को पूरी तरह छूट है। जहाँ मप्र के मूल निवासियों को शासकीय नौकरी नहीं मिल पा रही है, वे बेरोजगार बैठें है, वहाँ सरकार अन्य राज्यो के छात्रों को मौका दे रही है, इसका ज़िम्मेदार कौन है?

सभी जानते है कि मप्र में शिक्षा का स्तर अन्य पडोसी राज्यो की तुलना में काफी कम है, अन्य राज्यो के छात्र कितना फर्जीवाड़ा करते हे। यह भी किसी से छुपा नही है। फिर भी सरकार उन्हें सभी प्रवेश परीक्षाओं में 100% आरक्षण दे रही है ऐसा क्यूँ? अन्य सभी राज्यो में दूसरे राज्यो के छात्रों के लिए मात्र 5% कोटा आरक्षित होता है फिर भी मप्र सरकार, मप्र के छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने पर क्यों तुली है। ना ही सरकार को इसकी चिंता है नाही विपक्ष में बैठी हुई अन्य पार्टियों को। 

आप स्वयं ही देखिये मप्र का हाल
  1. संविदा शिक्षक परीक्षा में सर्वाधिक चयनित छात्र-राजस्थान के
  2. पुलिस परीक्षा में सर्वाधिक चयनित छात्र- उ.प्र., बिहार के
  3. म.प्र. पोस्ट आफिस परीक्षा में सर्वाधिक चयनित छात्र- हरियाणा के


ऐसी ही कई परीक्षाओ में म.प्र. के छात्रों का रिजल्ट न के बराबर है, क्या म.प्र. के छात्र आपको सिर्फ वोट देकर जिताने के लिए पैदा हुए है। सभी पार्टियों को सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने से मतलब है, छात्रों की चिंता किसी को नहीं।

व्यापम के दाग अभी तक धुले नही है, जिसने प्रदेश की प्रतिभाओं को मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया और अब सरकार ने नया तरीका निकाल लिया है भ्रष्टाचार करने का अन्य राज्यो के छात्रों एवं कोचिंग संस्थानों के साथ मिलकर।

हम लोग अगर अभी भी खामोश रहे तो हम अपना और अपने छोटे भाइयो-बहनो का एवं प्रदेश के हर छात्र का भविष्य चौपट करने में सहयोग कर रहे है। मैंने इस मुहीम की शुरुवात की है , इसे और फॉरवर्ड आगे बढाइये ताकि विधानसभा में बैठे प्रतिनिधियों को छात्रों की शक्ति का अंदाजा हो जाये। अगर फिर भी हमारी नहीं सुनी गयी तो हम दूसरा कदम भी उठाएंगे।

धन्यवाद।।
विचार कीजिये..!!
आपका शुभ-चिंतक।।
हरिओम शर्मा
मध्य-प्रदेश का एक छात्र।।

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