मोदी ने मप्र से मांगे 63 IAS अफसर

भोपाल। मोदी सरकार ने शिवराज सरकार से मप्र कैडर के 63 आईएएस अफसरों की मांग की है। ये अफसर प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार को सेवाए देंगे। फिलहाल 32 अधिकारी केंद्र में डेपुटेशन पर हैं जबकि 95 अधिकारियों को भेजना जाना चाहिए था। आईएएस अफसरों की कमी के कारण प्रधानमंत्री मोदी की कई महत्वपूर्ण प्लानिंग रुकी हुईं हैं। 

मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि डेपुटेशन के नियम हैं कि आईएएस कैडर के मौजूदा पदों में 40 फीसदी तक अधिकारी डेपुटेशन पर जा सकते हैं। कैडर रिव्यू से पहले कैडर पोस्ट 227 थी, जिसके हिसाब से 90 अधिकारी डेपुटेशन पर जाने चाहिए थे। कैडर रिव्यू के बाद डेपुटेशन पर जाने वाले अधिकारियों का कोटा 95 हो गया है। 

केंद्र से इस बाबत पत्र आने के बाद शासन ने आईएएस के साथ-साथ आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को भी इत्तला दे दी है। मंत्रालय सूत्रों का यह भी कहना है कि अधिकारियों की कमी की वजह यह भी है कि 1998 से लेकर 2006 के बीच में मप्र में 50-60 ही आईएएस अधिकारी आए। जबकि उससे पहले और बाद में इनकी संख्या 140 से 150 तक थी। यही वजह है कि जब अधिकारी कम थे तो डेपुटेशन पर भी कम गए। 

सबको जाना चाहिए लेकिन ये अफसर कभी नहीं गए 
रजनीश वैश्य, जेएन कंसोटिया, मोहम्मद सुलेमान, केसी गुप्ता, डॉ. राजेश राजौरा, मनोज श्रीवास्तव, पंकज अग्रवाल, अशोक शाह, अजीत केसरी, एसएन मिश्रा, विनोद कुमार, आशीष उपाध्याय, वीरा राणा, अजय तिर्की (हाल ही में केंद्र में इंपेनल हुए हैं। पहली बार जाएंगे। अभी राज्यपाल के पीएस हैं।) शिखा दुबे, सलीना सिंह, एमके सिंह और विनोद सेमवाल। ऊर्जा विभाग के एसीएस इकबाल सिंह बैंस एक बार ही डेपुटेशन पर गए और एक साल रहे। सीएम के पीएस अशोक वर्णवाल भी सिर्फ एक बार ही केंद्र में सेवाएं देने गए। 

केंद्र में जाने के लिए शर्तें भी हैं
डेपुटेशन पर जाने की शर्त है। अफसर का विजिलेंस क्लियरेंस हो। वह आवेदन करे। इसके बाद केंद्र, संयुक्त सचिव या इससे ऊपर के पदों पर अफसरों को इंपेनल करती है। यदि उनकी एसीआर व पात्रताएं बेहतर हों तो उन्हें बुलाते है। 

शर्मा की दो ACR प्रभावित हो गई 
पूर्व आईएएस अफसर प्रवेश शर्मा मप्र के सीएस की दौड़ में थे। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के दौरान पीएमओ से उनकी दो एसीआर प्रभावित हो गई। इस कारण वे दौड़ में पिछड़ गए। अंतत: उन्होंने प्रतिनियुक्ति के दौरान ही पिछले साल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। 

प्रतिनियुक्ति पर जाने से बचते हैं अफसर 
फेडरल स्ट्रक्चर में वित्तीय अधिकार केंद्र से ज्यादा राज्यों में हैं। एक पार्टी की मतलब 13 साल से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है। सरकारें बदलती रहती हैं तो अफसर ‘लाइन ऑफ फायर’ (सरकार की नापसंदगी) में आ जाते हैं। 

एक्सपोजर और एक्सपीरियंस के लिए हर आईएएस अधिकारी को डेपुटेशन पर जाना चाहिए, लेकिन यह भी सही है कि यह अनिवार्य नहीं है। अधिकारी पर निर्भर होता है कि वह जाना चाहे। केंद्र सरकार फिर उन्हें इंपेनल करती है। इंपेनलमेंट ज्वाइंट सेक्रेटरी या उससे ऊपर के पदों के लिए होता है। जैसे मेरे बैच के अधिकारियों में सिर्फ मैं ही इंपेनल हुई थी। 

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