अध्यापकों का 6वां वेतनमान: सिर्फ 57 रुपए बढ़े

खरगोन। अध्यापकों को छठे वेतनमान के हिसाब से इस महीने से बढ़ा हुआ वेतन मिलने लगा है लेकिन एक ही ग्रेड के अध्यापकों को अलग-अलग वेतन मिला। गणना पत्रक में विसंगति के चलते एक ही साल में नियुक्त हुए सहायक अध्यापक, अध्यापक या फिर वरिष्ठ अध्यापकों के वेतन में अंतर आ रहा है। 

छठे वेतनमान के गणना पत्रकों में मनमानी इस कदर रही कि अध्यापकों की वरिष्ठता का ध्यान नहीं रखा गया। कन्या उमावि क्रं.1 संकुल की वरिष्ठ अध्यापक मीना मालवीय को नए वेतनमान में महज 57 रुपए बढ़ाकर मिले। 1998 से ज्वाइनिंग व 2013 में पदोन्नत वरिष्ठ अध्यापक का कुल वेतन 34 हजार 65 रुपए ही हुआ, जबकि उनके साथ की ज्वाइनिंग वाले वरिष्ठ अध्यापकों को 4 हजार रुपए बढ़ाकर वेतन मिला है। 

सहायक अध्यापक संवर्ग की ही बात करें तो किसी को 31 तो किसी को 35 हजार रुपए से ज्यादा मिले, जबकि उनकी नियुक्ति तिथि और ग्रेड एक ही है। अध्यापक संघ के पदाधिकारियों के मुताबिक सबसे अधिक फायदा सेगांव व सबसे कम गोगावां ब्लॉक में अध्यापकों को मिला है। जिले के 98 संकुलों में कर्मचारियों ने अपने हिसाब से गणना की है, जिस कारण यह विसंगति हुई है। इससे अध्यापकों में नाराजगी है। वरिष्ठ अध्यापकों ने तो नया वेतनमान लेने से ही मना कर दिया है। शिक्षा विभाग के अफसर भी इस बात को स्वीकार रहे हैं लेकिन अब वे भोपाल से निर्देश मिलने का इंतजार कर रहे हैं। अध्यापकों को छठे वेतनमान के हिसाब से बढ़ा हुआ वेतन किस तरह दिया जाए, इसमें शुरू से पेंच रहा। 

अफसरों ने संकुल स्तर पर बाबुओं से गणना करवाई। सबने अपने अनुसार गणना की। कुछ ने तो शासन के निर्देशों को ही नहीं माना। गणना में आ रही परेशानी के बाद अध्यापक संघ ने कमेटी बनाने की मांग की थी। इस पर विभाग ने कमेटियां गठित की थी। कमेटियों ने अपने-अपने मत अनुसार वेतन का निर्धारण कर दिया लेकिन अध्यापकों की समस्या हल नहीं हुई। दिसंबर माह का वेतन जब अध्यापकों को मिला तो शासन के साथ बाबुओं के प्रति भी उन्होंने आक्रोश जताया। 

अबूझ पहली बना वेतनमान : अध्यापक 
राज्य अध्यापक संघ जिलाध्यक्ष प्रभुराम मालवीय ने बताया जिले के अफसरों को अवगत कराने के बावजूद हर संकुल में बाबुओं द्वारा गणना पत्रक की अलग-अलग व्याख्या कर मनमर्जी से वेतन का निर्धारण किया है। छठा वेतनमान एक अबूझ पहली बन गया है। न अफसर इसे समझा पा रहे हैं और न ही अध्यापकों को समझ में आ रहा है। सातवां वेतनमान की तैयारी शासन कर रहा है जबकि अध्यापक छठे में ही उलझे हुए हैं। जिले में एक समान निर्धारण हो, इसको लेकर जिलास्तर पर समिति बने। 

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