राजेश कुमार पांडे/इलाहाबाद। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक केस में सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि जरूरत पड़ने पर प्रार्थना स्थलों को सरकार अपने अधिकार में लेकर, उसे जनहित में इस्तेमाल कर सकती है। सरकार ऐसी जगहों को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए दे सकती है। कोर्ट ने नैशनल हाईवे पर एक चर्च को हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही।
हालांकि, कोर्ट ने यह बात स्वीकार की कि क्रिसमस से ठीक पहले चर्च को हटाना काफी कठोर फैसला है। इस बात को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने नैशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को चर्च और उसके साथ लगे कब्रिस्तान को बाद में शिफ्ट करने का निर्देश दिया। चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया ट्रस्ट असोसिएशन ने कोर्ट में चर्च को उसकी जगह से न हटाने की याचिका दी थी।
इलाहाबाह हाई कोर्ट की जस्टिस वीके शुक्ल और एमसी त्रिपाठी की बेंच ने यह फैसला सुनाया। याची पक्ष का कहना था कि हाईवे अथॉरिटी को एनएच-2 पर आगर-इटावा बाईपास (6 लेन) बनाने के लिए जमीन चाहिए थी और इसके दौरान ही चर्च की जमीन को भी अपने अधिकार में ले लिया गया।
याचिका दाखिल करने वालों ने प्रार्थना स्थल (विशेष प्रावधान) कानून, 1991 का हवाला दिया और कहा कि ऐसी जगहों को किसी और इस्तेमाल में लाने पर रोक है। इस पक्ष को नकारते हुए कोर्ट ने बताया कि कानूनन किसी एक समुदाय विशेष के प्रार्थना स्थल को किसी और समुदाय के प्रार्थना स्थल में बदलने पर प्रतिबंध है।