मप्र में 9000 करोड़ का बिजली घोटाला, 4रु वाली बिजली 9रु में खरीदी

भोपाल। शिवराज सरकार ने गुजराती कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सामान्य दर से 5 रुपए ज्यादा में बिजली खरीदी। 2013-14 में ओपन मार्केट में बिजली कीमत 4-5 रुपए प्रति यूनिट चल रही थी परंतु मप्र सरकार ने सूजान टोरेंट पॉवर से 9.56 रुपए प्रति यूनिट में बिजली खरीदी। इसके कारण बिजली कंपनियों को 9000 करोड़ का घाटा हुआ। यह पैसा आम जनता पर अतिरिक्त टैक्स थोपकर वसूला गया। 

यह आकंड़ा तीनों कंपनियों के प्रमुख पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने नियामक आयोग के सामने पेश किया है। 8 दिसंबर को इस पर सुनवाई हुई। इन सारे आंकड़ों के हवाले से विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सवाल उठाया और बिजली के मुद्दे पर सरकार घिरती नजर आई। पटवारी ने कहा कि एक ओर सरकार का कहना है कि हमारे पास सरप्लस बिजली है, दूसरी ओर एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए इतनी मंहगी बिजली खरीदी जा रही है। इससे लगता है कि सरकार किसी लेन-देन में है।

ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने सफाई दी कि आयोग की ऑडिट रिपोर्ट आना बाकी है, इसलिए घाटे के आंकड़ों के बारे में अभी नहीं कहा जा सकता है। जहां तक महंगी बिजली खरीदने का सवाल है, तो 14 साल पहले आपकी (कांग्रेस) ही सरकार ने अनुबंध किया था। हम तो इसे निभा रहे हैं। इस पर असंतुष्ट कांग्रेस विधायक और अन्य नेताओं ने बहिर्गमन कर विरोध दर्ज करवाया।

सवाल यह है कि यदि दिग्विजय सिंह सरकार के तमाम अनुबंधों को निभाना ही शिवराज सरकार अपना धर्म मानती है तो जरूरत क्या थी कि मप्र में सरकार बदल दी जाए। 

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