अध्यापकों 6वां वेतनमान: उलझे डीडीओ, वेतन बढ़ने की बजाय कम हुआ

झाबुआ। मध्यप्रदेश के साढे तीन लाख अध्यापक अपनी दो प्रमुख मांगो को समान कार्य समान वेतनमान और शिक्षा विभाग में संविलियन को लेकर सरकार से पिछले दो दशको से लड़ाई लड़ रहे हे। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यापको की एक प्रमुख मांग समान कार्य समान वेतनमान को पूरा करते हुए अध्यापको को 1 जनवरी 2016 से प्रदेश के नियमित शिक्षको की भाति छटे वेतनमान का लाभ दिया है।

राज्य अध्यापक संघ के जिलाध्यक्ष मनीष पवार ने बताया कि मुख्यमंत्रीजी के निर्देश पर मध्यप्रदेश शासन् ने 15 अक्टूबर को अध्यापकों के छटे वेतनमान के आदेश जारी किये हे लेकिन आदेश जारी होने के पचास दिन बाद भी झाबुआ जिले में अध्यापको के छटे वेतनमान को लेकर कोई उपयुक्त वेतन निर्धारण नही कर पाया हे। जिले के सारे डीडीओ और लेखापाल सहायक आयुक्त कार्यालय से जारी की गई सारणी के निरस्त होने के बाद अध्यापको का नए सिरे से वेतन निर्धारण कर रहे हे जिससे 1998 से लेकर 2003 तक के अध्यापको का वेतन बढ़ने की बजाय कम हो रहा हे। जिलाध्यक्ष मनीष पवार का यह भी कहना हे कि झाबुआ जिले में 4000 अध्यापक वर्तमान में कार्यरत हे और वेतन कम होने से उनमे भारी आक्रोश व्याप्त हे।

अध्यापक संघ के फ़िरोज़ खान का कहना हे कि झाबुआ जिले के डीडीओ और लेखापाल अध्यापको के छटे वेतनमान के आदेश के समस्त बिन्दुओ का सही अध्ययन नही कर रहे हे और एक दो बिन्दुओ की व्याख्या कर उसी पर अड़े रहकर वेतन निर्धारण कर रहे हे जिससे 1998 से 2003 तक के अध्यापको का वेतन 1500 से 2000 तक वर्तमान में प्राप्त वेतन से भी कम हो रहा हे जिससे जिले के अध्यापको में वेतन निर्धारणकर्ताओ के खिलाफ आक्रोश व्याप्त हे। जिले के अध्यापक गलत वेतन निर्धारण की शिकायत जिलाधीश झाबुआ से शीघ्र करने करने भी वाले हे।

अध्यापक संघ के अरविन्द रावल ने बताया हे कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के साढे तीन लाख अध्यापको को 1 जनवरी 2016 से छटे वेतनमान की सौगात उनका वेतनमान बढ़ाने के लिए दी हे न की उनका वेतन कम करने के लिए दी हे। अधिकारी और लेखापालो को 15 अक्टुम्बर के जारी आदेश में भारी विसंगति नज़र आती हे और वे इसी को आधार बनाकर सही वेतन निर्धारण करने से पल्ला झाड़ रहे हे। जबकि आदेश के बिंदु क्रमाक 2.3 को पढ़कर सही व्याख्या करे तो अध्यापको का वेतन निर्धारण सही तरीके से किया भी जा सकता हे। और कही विसंगति लगती भी हे तो आदेश के बिंदु क्रमाक 2.10 में स्पष्ट लिखा हे की यदि कही विसंगति उदभुत होती भी हे तो उसके निराकरण हेतु मुलभुत नियमो और वित् विभाग के वेतन निर्धारण निर्देशो का पालन किया जाये। लेकिन कोई भी इन नियमो का पालन कर वेतन निर्धारण करने में रूचि नही दिखा रहा हे । सभी आदेश की गणना तालिका को आधार मानकर गणना कर ही वेतन निर्धारण कर रहे हे जिससे अध्यापको का वेतन प्राप्त वेतन से भी कम हो रहा हे।

अध्यापक संघ के अरविन्द रावल ने आगे बताया हे कि प्रदेश के कर्मचारियों के इतिहास में जब जब भी वेतनमान का लाभ कर्मचारियों को दिया गया तब तब कर्मचारियों का वेतन वेतनमान से बड़ा ही हे लेकिन अध्यापक विरोधी मानसिकता वाले अध्यापको को छटे वेतनमान का लाभ मिलने से उनका वेतन कम करने पर आमाद हे।  अगर जिले में अध्यापको का वेतन निर्धारण उनके वर्तमान मे प्राप्त  वेतन से भी कम कर दिया जाता हे तो हम इसकी शिकायत माननीय मुख्यमंत्रीजी से करेगे और न्यायालय में गलत वेतन निर्धारण कर्ताओ के खिलाफ याचिका भी दायर करेगे।

राज्य अध्यापक संघ के शरद गुप्ता ने कहा हे कि कुछ लोगो को अध्यापको का छटा वेतनमान रास नही आ रहा हे। उन्हें इस बात का बड़ा दुःख हे कि इनको मुख्यमंत्रीजी ने छटा वेतनमान देकर हमारे बराबर खड़ा कर दिया हे। अध्यापको के छटे वेतनमान के निर्धारण को बेवजह उलझाया जा रहा हे। यदि किसीको वेतन निर्धारण करने में नियमो का पालन करने के बाद भी दिक्कत आती हे तो मार्गदर्शन मांगे लेकिन कोई भी अध्यापको को छटा वेतनमान मिले इसमें दिलचस्पी नही दिखा रहा हे।

राज्य अध्यापक संघ के इलियास खान का कहना हे कि जिले में सभी डीडीओ ने अपने अपने संकुल के नियमित शिक्षको का वेतन आहरण कर लिया हे किन्तु अध्यापको के छटे वेतनमान के आज तक बिल भी नही बने हे तो वेतन कब प्राप्त होगा कहा नही जा सकता हे। यदि एक दो दिन में जिले में अध्यापको के छटे वेतनमान के हिसाब से सही निर्धारण करके वेतन नही दिया जाता हे तो जिले के अध्यापको द्वारा सम्बंधित डीडीओ के खिलाफ जिले से लेकर राजधानी तक शिकायत की जायेगी।

अध्यापक संघ के महासचिव दिनेश चौहान, खीमा भूरिया, कयूम खान, मनवेळ भूरिया, दिनेश टाक, सयम शर्मा, नीरज कोराने, सीमा त्रिवेदी, वन्दना जोशी, संगीता गुप्ता, भावना रावल, सरिता भाबोर, रीता डामोर, संगीता देवलिया, सीमा चौहान, सीमा व्यास, हरीश कुण्डल, अजय कुशवाह, प्रतापसिंह मोर्य, जुल्फिकार खान, रामचंद्र गुर्जर, ईश्वर गुर्जर, मनोज सिकरवार , नितिन टेलर और हजारो अध्यापको ने सही तरीके से छटे वेतनमान का वेतन निर्धारण कर शीघ्र वेतन देने की मांग की हे।

                                                                    

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