RTI में बताया: मूल दस्तावेज क्षतिग्रस्त और दीमक लगने से नष्ट हो चुके हैं

सुधीर ताम्रकार/बालाघाट। शासकीय कार्यालयों में महत्वपूर्ण दस्तावेजों के रखरखाव और उन्हे सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक प्रबंध करने के प्रति जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। इन विसंगतियों के चलते दस्तावेजों के अभाव में शासन एवं नागरिको को अनावश्यक विवादों में उलझना पडता हैै एैसी ही लापरवाही का एक उदाहरण प्रकाश में आया है जिसमें सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के प्रतिउत्तर में यह अवगत कराया गया है कि मूल दस्तावेज क्षतिग्रस्त और दीमक लगने से नष्ट हो चुके हैं।

वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता आनंद ताम्रकार द्वारा अनुविभागीय अधिकारी वैनगंगा सिंचाई अनुविभाग अधर नहर वारासिवनी से सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मांगी गई थी की सिंचाई विभाग के अधिनस्थ ग्राम वारा से चंदन नदी सेतु तक प्रमुख नहर एवं प्रमुख नहर से निकली वितरक प्रणाली छोटी नहर के मूल नक्शे की प्रतिलिपि प्रदान करें। इस तारतम्य में अनुविभागीय अधिकारी अधर नहर अनुविभाग वारासिवनी द्वारा पत्र क्रमांक 917, 28.10.2016 के माध्यम से यह अवगत कराया की वैनगंगा नहर प्रणाली के अंतर्गत वारासिवनी शाखा नहर प्रणाली का निर्माण कार्य ब्रिटिश शासनकाल में किया गया है। विभाग के द्वारा अधिग्रहण भूमि का सर्वे तथा भू.अर्जन प्रकरण लगभग 114 वर्ष पूर्व किया गया था, मूल दस्तावेज दीमक लगने से नष्ट हो चुके है अत मूल प्रति इस उप संभाग में उपलब्ध नही है जिसके कारण आवेदन नस्तिबध्द किया जाता है।

यह उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश शासनकाल में 1910 से 15 के बीच बनी वैनगंगा सिंचाई प्रणाली की ठुटी नहर प्रणाली जो लगभग 125 कि.मी. लंबी है स्थापत्य निर्माण कला का उत्कष्ट नमूना है यह नहर प्रणाली बालाघाट जिले की प्रमुख सिंचाई का माध्यम है इस पर अभी हाल ही में 300 करोड रूपये की लागत से सीमेंट से लाईनिंग कार्य कराया गया है देखरेख के अभाव में नहर की भूमि पर लोगो ने अतिक्रमण कर नाजायज कब्जा कर लिया है वारासिवनी नगर में लगभग 75 लोगो ने नहर की भूमि पर अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया है जिसके कारण नहर का अस्तित्व लगभग समाप्त ही हो गया है प्रशासन ने माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर ने प्रस्तुत एक याचिका के आधार पर नहर की भूमि पर किये गये अतिक्रमण को हटाने के निर्देश जिला कलेक्टर को दिये हैं जिसकी कार्यवाही जारी है।

नहर की भूमि से संबंधित भूअर्जन तथा भूमि अधिग्रहण से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेजों का क्षतिग्रस्त होना और दीमक द्वारा नष्ट कर दिया गया है यह बताया जाना घोर लापरवाही का सबूत तो है ही अतिक्रमणकारियों एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों की परस्पर मिलीभगत और साजिश का परिणाम है।
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