NDTV से मोदी की पुरानी दुश्मनी, गुजरात में भी लगाया था बैन

मोदी सरकार ने एनडीटीवी ग्रुप के हिंदी न्यूज चैनल एनडीटीवी इंडिया पर एक दिन का बैन लगाने का फैसला किया है जिसका काफी विरोध हो रहा है। लोग इसे ‘आपातकाल’ तक घोषित कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि एनडीटीवी इंडिया से पीएम मोदी ने अपनी पुरानी दुश्मनी निकाली है। हम इस रिपोर्ट में आपको बताते हैं कि पीएम मोदी और एनडीटीवी के कैसे हैं रिश्ते?

साल 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर स्थानीय मुस्लिमों से भिड़ंत के बाद 58 कार सेवकों को जला दिया गया था। उस वक्त देश के तीन बड़े चैनल जी न्यूज, आज तक और स्टार न्यूज (उस वक्त इसका संपादकीय प्रभार एनडीटीवी के पास था) ने इसकी रिपोर्टिंग इसमें शामिल भीड़ के धर्म की पहचान के साथ की थी। दंगे भड़कने पर जी न्यूज और आज तक ने अपने संवाददाताओं को कहा कि वे इस दौरान हिंदू और मुस्लिम टर्म का इस्तेमाल ना करें लेकिन स्टार न्यूज के लिए राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त काम कर रहे थे, इन्होंने पीड़ितों के समुदाय की पहचान जाहिर करने का फैसला लिया। यह घटना का सच दिखाने के लिए जरूरी था। यह जानकारी नलिन मेहता ने अपनी बुक ‘India onTelevision: How Satellite News Channels Have Changed the Way We Think and Act’ में दी है।

मोदी कट्टर छवि नहीं चाहते थे
इसके बाद नरेंद्र मोदी की छवि एक कट्टरपंथी की बन गई। वहीं मोदी ने बरखा दत्त और राजदीप सरदेसाई के चैनल पर दंगा भड़काने का आरोप लगाया। इसके बाद ही एनडीटीवी और पीएम मोदी में तनातनी शुरू हुई, जो कि अभी तक चल रही है। इसके बाद भी इसके कई उदाहरण देखने को मिले। 

गुजरात में एनडीटीवी को बैन कर दिया था 
एक इंटरव्यू में पत्रकार मधु किश्वर से मोदी ने कहा था, ‘गुजरात दंगों के दौरान उन्होंने खुद राजदीप और बरखा दत्त को फोन किया था और दंगे बढ़ाने के लिए उन्हें सुनाया था।’ उन्होंने बताया कि उन्होंने राजदीप को धमकी भी दी थी कि अगर वे अपनी ऐसी रिपोर्टिंग नहीं बंद करेंगे तो उनके चैनल को बैन कर दिया जाएगा लेकिन चैनल ने अपनी रिपोर्टिंग बंद नहीं की तो नरेंद्र मोदी (तत्कालिन गुजरात सीएम) ने चैनल को एक दिन के लिए बैन कर दिया था।

सवाल का जवाब नहीं दिया
इसके बाद भी सालों तक एनडीटीवी ने मोदी का 2002 के दंगों को लेकर पीछा नहीं छोड़ा। साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीटीवी के विजय त्रिवेदी ने पीएम मोदी से एक हेलीकॉप्टर में इंटरव्यू करते हुए 2002 के बारे में सवाल पूछा। इसके बाद मोदी पहले की तरह चुप्पी साध गए। उन्होंने उसके बाद त्रिवेदी के एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया था। 

पत्रकार को रास्ते में ही उतार दिया 
इसके बाद कारवां मैगजीन ने रिपोर्ट में लिखा था कि पीएम मोदी ने त्रिवेदी को हेलीकॉप्टर से उतार दिया था और उन्हें सड़क के रास्ते आना पड़ा। मोदी ने बाद में किश्वर को बताया था कि ‘त्रिवेदी ने झूठी अफवाह फैलाई कि जब उन्होंने कठिन सवाल पूछे तो मैं उन्हें आसमान में ही हेलीकॉप्टर से नीचे फेंकने वाला था।’ मोदी ने किश्वर को बताया कि उस दिन उन्होंने तय कर लिया था कि वे कभी भी एनडीटीवी को इंटरव्यू नहीं देंगे और उनके किसी भी सवाल का जवाब नहीं देंगे।

कभी किसी सवाल का जवाब नहीं दिया
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले फिर एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार राजदीप सरदेसाई (उस वक्त सरदेसाई सीएनएन-आईबीएन के लिए काम कर रहे थे) ने पीएम मोदी से 2002 दंगों के बारे में सवाल पूछा। हालांकि, मोदी ने इस बार भी चुप्पी साध ली और राजदीप के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने एनडीटीवी, बरखा दत्त और राजदीप को कभी भी इंटरव्यू नहीं दिया। हालांकि, एनडीटीवी लगातार अपने स्टूडियो से पूछता रहा कि क्या पीएम मोदी को साल 2002 के दंगों के लिए माफी मांगनी चाहिए?

पूरी भाजपा ही एनडीटीवी विरोधी हो गई 
2014 लोकसभा चुनाव के दौरान एनडीटीवी ने एक ट्वीट में गलत तरीके से सुषमा स्वराज के बारे में जानकारी दी थी, जिसके बाद भाजपा ने एनडीटीवी के किसी भी पैनल डिस्कशन में हिस्सा ना लेने का फैसला किया था। हालांकि, इस ट्वीट को लेकर एनडीटीवी और बरखा दत्त ने बाद में माफी भी मांगी थी। इसी साल मई महीने में मोदी सरकार के कपड़ा मंत्रालय ने एनडीटीवी की टैक्सटाइल विंग के साथ एक डील की थी। लेकिन कथित मोदी समर्थकों के विरोध की वजह से मंत्रालय ने यह डील रद्द कर दी।

NDTV को बंद कराना चाहते हैं 
इसके अलावा एनडीटीवी को बंद करने को लेकर मोदी समर्थक सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलाते रहते हैं। कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल पर एनडीटीवी की रिपोर्ट के बाद #ShutDownNDTV ट्रेंड सोशल मीडिया पर चला था। इसे साथ ही एनडीटीवी का लाइसेंस रद्द करने को लेकर एक ऑनलाइन याचिका भी जारी की गई थी, इस पर बीस हजार से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किए थे।
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