मप्र: कमेटियों में उलझकर रह गए कर्मचारी आंदोलन

भोपाल। शिवराज सरकार ने मप्र के कर्मचारी आंदोलनों को ठंडा करने का नया तरीका निकाल लिए है। पहले फूटडालो काम चलाओ की रणनीति अपनाई थी, अब कमेटी बनाओ, बात टालो की रणनीति पर काम किया जा रहा है। हर आंदोलन के बाद एक कमेटी बना दिया जाती है और ....... बस कमेटी बना दी जाती है। 

कमेटी समय सीमा में प्रतिवेदन सौंपना तो दूर, कर्मचारियों की मांगें ही सूचिबद्ध नहीं करतीं। वक्त गुजरता रहता है। कभी सिंहस्थ, फिर उपचुनाव, कभी ओले तो कभी सूखा। केलेण्डर के पन्ने बदलते रहते हैं। कर्मचारी आश्वासन का चादर ओढ़कर इंतजार करते रह जाते हैं। फिलहाल आधा दर्जन से ज्यादा कमेटियां कर्मचारियों को बहलाने का काम कर रहीं हैं। 

मंत्रालय के लिए कमेटी
मंत्रालय कर्मचारी संघ जून से आंदोलन कर रहा है। कमेटी सेक्शन अफसरों के वेतनमान में सुधार, सात तकनीकी कर्मचारियों को समयमान और दफ्तरी का विशेष वेतन बढ़ाने की मांगों पर विचार करेगी।

विभाग स्तर पर गठित करा दी कमेटी
कर्मचारी आंदोलन ठंडा करने के लिए सरकार ने विभाग स्तर पर ही कमेटियां गठित करा दी हैं, जबकि नियम अनुसार जीएडी की ओर से गठित कमेटी ही मान्य है।

कर्मचारी संघ : अतिथि शिक्षक संघ
कमेटी गठित : 28 जनवरी-16
कमेटी के अध्यक्ष : स्कूल शिक्षामंत्री
समयसीमा : तीन माह
मांग : गुरुजियों के समान समस्त लाभ और संविदा शाला शिक्षक पद पर नियोजन।

कर्मचारी संघ : बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ
कमेटी गठित : 15 मार्च-16
कमेटी के अध्यक्ष : व्हीएस ओहरी, संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं
समयसीमा : तीन माह
मांग : वेतन विसंगति में सुधार।

कर्मचारी संघ : मप्र लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ
कमेटी गठित : 7 मई-16
कमेटी के अध्यक्ष : रमेशचंद्र शर्मा, अध्यक्ष, मप्र कर्मचारी कल्याण समिति
समयसीमा : तीन माह
मांग: लिपिकों की वेतन विसंगति

कर्मचारी संघ : मप्र आपूर्ति अधिकारी संघ
कमेटी गठित : 21 अक्टूबर 16
कमेटी के अध्यक्ष : विजय मोहन चौधरी
समयसीमा : एक माह
मांग : ब्लॉक और डिवीजन स्तर पर कार्यालय खोलने और जेएसओ-एएसओ के ग्रेड-पे में सुधार।

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