भोपाल। 500 एवं 1000 के नोट प्रचलन से बाहर हो जाने का एक बड़ा असर मप्र में शहडोल एवं नेपानगर उपचुनाव पर पड़ेगा। यहां पूरा चुनाव प्रबंधन ही गड़बड़ा गया है। खर्चे के लिए जितने भी पैसे थे सब के सब 500 एवं 1000 के नोटों में ही थे। सारा दिन इसी माथापच्ची में निकल गया कि अब इन गड्डियों को 100 की गड़्डियों में कैसे बदलें।
राजनीतिक पार्टियां आमतौर पर पेट्रोल-डीजल से लेकर कार्यकर्ताओं के खाने-पीने, बैनर-पोस्टर, होर्डिंग्स, होटल के खर्चे का भुगतान बड़े नोटों के जरिए ही करती हैं, इन नोटों के बंद होने से दोनों पार्टियों के लिए नई मुसीबत खड़ी हो गई है।
ब्लैक मनी के भरोसे होते हैं चुनाव
सूत्रों के मुताबिक राजनीतिक दल के प्रत्याशी चुनाव आयोग को भले ही तय सीमा में खर्च दर्शाते हैं, लेकिन चुनाव के दौरान कई ऐसे खर्च होते हैं, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता। चूंकि यह खर्चा बड़ा होता है, इसलिए इसमें बड़े नोटों से भुगतान किया जाता है।
मात्र 10 दिन बचे हैं मतदान में
सूत्रों के मुताबिक मतदान का वक्त नजदीक आते ही चुनाव आयोग की सख्ती अत्यधिक हो जाती है, ऐसे में दोनों ही राजनीतिक पार्टियां चुनाव मैनेजमेंट पहले ही निपटा चुकी है। 19 नवंबर को मतदान होना है।