मप्र | हिंदुओं के अंतिम संस्कार में जलाऊ लकड़ी प्रति​बंधित

भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मप्र में अंतिम संस्कार के दौरान जलाऊ लकड़ी का प्रयोग प्रतिबंधित कर दिया है। यह प्रतिबंध भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं ग्वालियर में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है जबकि शेष जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिख दिया गया है। वहां पहले विद्युत शवदाह ग्रह बनाया जाएगा, फिर प्रतिबंध लगाया जाएगा। दलील दी गई है कि शवदाह ग्रह में जलाऊ लकड़ी के लगातार हो रहें प्रयोग से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। साथ ही बड़ी तादात में लकड़ी के जलाए जाने से श्मशान घाटों के आसपास की हवा भी जहरीली हो गई है।

एनजीटी ने इस संबध में नगरीय प्रशासन विभाग को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जलाऊ लकड़ी पर प्रतिबंध लगाकर सिर्फ विद्युत शवदाह गृहों का उपयोग किया जाए। साथ ही लोगों को विघुत गृहों से अंतिम संस्कार करने के लिए प्रेरित किया जाए। इसके लिए नगरीय प्रशासन विभाग को नगरीय क्षेत्रों में विद्युत शवदाह गृह की व्यवस्था करनी होगी।

गौरतलब है कि श्मशान घाट में जलाऊ लकड़ी से शवदाह करने पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। अब शव को जलाने के लिए लकड़ी के बजाय विद्युत का उपयोग करना होगा। भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित निगमों में ये व्यवस्था लागू करने के निर्देश जारी हो गए हैं। इस संबंध में प्रदेश के सभी कलेक्टर व निगम कमिश्नर को निर्देश दिए जा चुकें है।

हिंदुओं में अंतिम संस्कार की शास्त्रीय विधि
हिंदुओं में कुल 16 संस्कार होते हैं। मनुष्य के जन्म के समय नामकरण एवं मुंडन संस्कार से लेकर अंतिम संस्कार तक यह सभी संस्कार शास्त्र सम्मत हैं एवं इनका धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि मानव का शरीर 5 तत्वों से मिलकर बना हुआ है। अंतिम संस्कार में शवदाह करके अग्नि, वायु, पृथ्वी एवं आकाश का तत्व उसे समर्पित कर दिया जाता है एवं अस्थि विसर्जन के द्वारा जल तत्व जल को समर्पित किया जाता है। तभी अंतिम संस्कार पूर्ण माना जाता है। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !