और राहुल बाबा, की पदोन्नति पर मुहर

राकेश दुबे@प्रतिदिन। आखिर वह फैसला होने का समय आ गया है कि कांग्रेस गाँधी परिवार के अतिरिक्त भी कुछ सोचती है?  इस सवाल जवाब नही में आगया है। कांग्रेस वर्किंग कमेटी चाहती है कि राहुल गांधी अब पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल लें। पार्टी के आला अधिकारियों ने एकमत होकर राहुल को इस साल के अंत तक यह जिम्मेदारी संभालने को कहा है। और संभवत यह ताजपोशी दिसम्बर मर हो जाये। कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सोमवार को सोनिया गांधी की खराब सेहत को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया। अगर ऐसा हुआ तो यह सोनिया के 17 साल के कार्यकाल का अंत होगा। सोनिया ने तब कांग्रेस की बागडोर संभाली थी तत्समय पार्टी में न सिर्फ नेतृत्व का संकट था बल्कि लगातार तीन चुनाव हारने के बाद कार्यकर्ताओं के हौसले भी पस्त थे।

श्रीमती सोनिया गाँधी इस बैठक में शामिल नहीं थी, उन्हें ही इस बैठक की अध्यक्षता करनी थी। परन्तु डॉक्टरों की सलाह के कारण वे इस बैठक में शामिल नहीं हो पाई। आश्चर्य तो यह हुआ कि कमेटी के अन्य सदस्यों को बैठक से 30 मिनट पहले ही इस बात की जानकारी मिल पाई।बैठक में पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि राहुल की पदोन्नति पर जारी सवालों पर विराम लगना चाहिए। पार्टी के पुराने विश्वासपात्र एंटनी ने कहा कि वह जानते हैं कि सोनिया गांधी भी उत्तराधिकार के इस मुद्दे को जल्द सुलझाना चाहती हैं।

एंटनी की इस बात का समर्थन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वर्किंग कमेटी  के अन्य सदस्यों ने एक स्वर में किया। अंबिका सोनी, सीपी जोशी और करण सिंह ने अध्यादेश पारित कर राहुल को फौरन पार्टी अध्यक्ष बनाने की वकालत की। वहीं मनमोहन सिंह व अन्य सदस्यों का मानना था कि इस पूरी प्रक्रिया को 'गरिमापूर्ण' तरीके से पूरा किया जाना चाहिए।
राहुल, जो पार्टी अध्यक्ष बनने को लेकर अनिश्चित रहे हैं, ने भी इस बारे में खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने हालांकि कहा कि अभी पार्टी अध्यक्ष का पद खाली नहीं है और स्वास्थ्य समस्या को इसका कारण नहीं बनाया जा सकता।

राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग हालांकि काफी समय से चल रही है लेकिन पार्टी का थिंक टैंक इस मुद्दे पर काफी सोच-विचार कर फैसला करने के मूड में है।अगर राहुल को दिसंबर में अध्यक्ष नहीं बनाया जाता है तो पार्टी चुनावों की तैयारियों में फंस जाएगी।

पार्टी में कई लोगों का मानना है कि 2016 के आखिरी महीने राहुल को पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने का सबसे अच्छा वक्त है। इससे बीजेपी कैंप के विरुद्ध विपक्षी दलों को भी एकजुट होने का मौका मिलेगा जो अभी तक राहुल के साथ जुड़ने से कतरा रहे थे। इसी वजह से वर्किंग कमिटी चाहती है कि राहुल अब अपनी मां की छाया में 'वर्किंग प्रेजिडेंट' की छवि से बाहर निकलकर खुलकर पार्टी की कमान संभाल लें।अध्यक्ष बनने के बाद राहुल 2019 लोकसभा चुनावों में घोषित तौर पर कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो जाएंगे।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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