एक साथ चुनाव: कोई हर्ज नहीं

राकेश दुबे@प्रतिदिन। नरेन्द्र मोदी ने लोक सभा और राज्य विधान सभा चुनाव को एक साथ कराने के मुद्दे को आम चर्चा और बहस के केंद्र में लाने की अपनी सदिच्छा दोहराई है। वह चाहते हैं कि इस मुद्दे के पक्ष और विपक्ष में एक राष्ट्रीय सहमति तो बने, जिससे आगे की राह निकले। इसके लिए उन्होंने मीडिया को आगे बढ़कर पहल करने की आवश्यकता पर बल दिया। जाहिर है उनके इस विचार से शायद ही किसी को असहमति होगी। क्योंकि यह तथ्य है कि भारत जैसे विशाल और जटिलताओं से भरे लोकतांत्रिक देश में चुनाव आयोग किसी-न-किसी चुनाव की तैयारियों में निरंतर व्यस्त रहता है और इसमें भारी धनराशि और संसाधनों का इस्तेमाल होता है।

चुनाव की घोषणा के बाद आचार संहिता लगने से सरकारी मशीनरी ठप हो जाती है और विकास कार्यबाधित होते हैं। अगर दोनों चुनाव एक साथ हों तो भारी धनराशि की बचत हो सकती है। ऐसा नहीं है कि आजाद भारत में दोनों चुनाव साथ-साथ नहीं हुए हैं। पहला आम चुनाव 1952  में हुआ। तब से 1967 तक लगातार लोक सभा और राज्य विधान सभा के चुनाव संपन्न हुए। यह निरंतरता 1986 और 1969 में बाधित हुई। जब विधान सभाएं अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही भंग कर दी गई। 1969 की चौथी लोक सभा भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। तब से दोनों चुनाव अलग-अलग होने लगे। संसद की स्थायी समितियों लोक शिकायत, कार्मिक और कानून तथा न्याय ने भी दोनों चुनाव को एक साथ कराने से संबंधित अपनी 79वीं रिपोर्ट संसद में पेश की है। 

लॉ कमीशन ने भी 1999 में अपनी रिपोर्ट में सरकारों के स्थायित्व के लिए दोनों चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया था। चुनाव आयोग भी इस बात पर सहमत है। उसका मानना है कि लोक सभा और विधान सभा के कार्यकाल की तिथि निर्धारित हो। यदि किसी कारण इन्हें समय से पहले भंग करने की नौबत आती है तो लोकसभा में किसी सरकार के विरुद्ध लाए जाने वाले अविश्वास प्रस्ताव के साथ ही विश्वास मत का प्रस्ताव लाया जाना आवश्यक होगा ताकि सरकार गिरने की स्थिति में दूसरी सरकार चुन ली जाए। यह नियम विधान सभाओं पर भी लागू होना चाहिए।

इसके बावजूद कोई सरकार नहीं बनती है और चुनाव कराना आवश्यक हो जाता है तो सदन का कार्यकाल अपने मूल कार्यकाल तक ही रहना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर दोनों चुनाव साथ कराए जाने पर राष्ट्रीय सहमति बन जाती है तो यह ऐतिहासिक चुनाव सुधार होगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
पूर्व में प्रकाशित लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए
आप हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !