राजेश शुक्ला/अनूपपुर। शहडोल लोकसभा सीट पर उपचुनाव के कारण यहां इन दिनों आदिवासियों को लेकर काफी दावे किए जा रहे हैं। राजनैतिक मंचों से यहां तक कहा जा रहा है कि आदिवासी भगवान के समान हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके पुजारी परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आदिवासी आज भी अकेला और पीड़ित है। कम से कम यह तस्वीर तो यही बयां करती है।
मानवता को शर्मसार कर देने वाला यह मामला जिला मुख्यालय से कुछ ही दूरी का है जहाँ पर पप्पु सिह गोंड की नानी बिरसिया बांंई गोड निवासी गांव पंगना तहसील जैतहरी की बीमारी की वजह से 8 नवम्बर को रात्रि में ग्राम मुंडा में मृत्यु हो गई। जहां पर उनके पास उस गांव में अंतिम संस्कार की व्यवस्था नहीं थी।
सुबह मृत वृद्धा के नाती ने 108 को कॉल किया जिस पर उनका जबाब आया की शाम 04 बजे तक गाड़ी आ सकती है। इसके बाद परिजन देर इधर उधर परेशान होते रहे और बाद में मृत वृद्धा को सायकल के पीछे बांस के सहारे बाँध कर शमशान घाट तक ले गए।
उक्त फोटो एवं जानकारी एक जागरुक पाठक की ओर से भेजी गई है।