यूपी में बिहार जैसे हालात नहीं चाहिए: आरएसएस

नई दिल्ली। अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति को अंतिम रूप देने की खातिर केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वैचारिक संरक्षक कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, यानी आरएसएस के शीर्ष नेता लगभग 30 केंद्रीय मंत्रियों के साथ नई रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसमें यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बीजेपी तथा आरएसएस के बीच महत्वपूर्ण चुनाव को लेकर पूरा सामंजस्य बना रहे। गुटबाजी और रुठना मनाना कम से कम हो। 

आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "ज़रूरत है कि बीजेपी तथा आरएसएस मिलकर उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए उसी तरह अपनी रणनीति का आकलन कर लें, जैसा हमने असम में चुनाव के वक्त किया था। आरएसएस नहीं चाहता कि (उत्तर प्रदेश में भी) बिहार जैसी स्थिति बने, जहां समन्वय में कमी ने नतीजों को प्रभावित किया था।

मोहन भागवत और वीके सिंह ने किया था बिहार में नुक्सान
एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आरएसएस उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए एक आचार संहिता भी निश्चित कर देना चाहती है। पिछले साल हुए बिहार चुनाव के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तथा जनरल वीके सिंह जैसे बीजेपी नेताओं की टिप्पणियों से पार्टी को वोटरों का मन जीतने में दिक्कतें पेश आई थीं, और बीजेपी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठबंधन से मिली करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था।

यूपी के लिए ऐजेंडा चाहिए
बीजेपी को उत्तर प्रदेश में बहुत साल बाद अपने लिए सरकार बनाने का यह बेहतरीन मौका लग रहा है, और इसीलिए उसका ज़ोर समन्वय पर है। पार्टी ने हालांकि अभी यह तय नहीं किया है कि चुनाव के लिए पार्टी का चेहरा कौन होगा, और फिलहाल वह चुनाव के लिए एजेंडा भी तलाश ही कर रही है, जिसके गिर्द वह अपने प्रचार अभियान की रूपरेखा बुनेगी।

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