चंबल के एक गांव में जमीन से निकल रहे हैं सोने चांदी के सिक्के

भिंड। अटेर विधानसभा का गांव प्रतापपुरा इन दिनों खेत से निकल रहे सोने-चांदी के सिक्कों के कारण चर्चा में है। गांव में नई बनी आंगनबाड़ी केंद्र के बगल का खेत पिछले 4 दिन से सोने-चांदी के सिक्के उगल रहा है। यहां के ग्रामीण भी अब काम छोड़कर सुबह से रात तक सिक्के खोजते इस खेत पर दिखाई देते हैं। शनिवार को निरीक्षण के लिए गए जिला पुरातत्व अधिकारी वीरेंद्र पांडे को गांव के लोगों ने बताया खेत से करीब डेढ़ हजार सिक्के निकले हैं, जिनमें कुछ लोगों को सोने के सिक्के भी मिले हैं।

700 साल पुराने हैं सिक्के
प्रतापपुरा में निरीक्षण के लिए गए पुरातत्व अधिकारी वीरेंद्र पांडे को ग्रामीणों ने चांदी का एक सिक्का दिया। श्री पांडे ने बताया सिक्का करीब 700 साल पुराना है। यहां खुदाई में लोगों को मुगलकाल से लेकर गुलाम वंश काल के सिक्के मिल रहे हैं। जिला पुरातत्व अधिकारी श्री पांडे ने निरीक्षण के बाद खेत से ही खड़े होकर उप संचालक पुरातत्व एसआर वर्मा को फोन पर सूचना देकर बताया कि गांव के लोग यहां से सिक्के खोद रहे हैं।

उप संचालक के निर्देश पर श्री पांडे ने गांव की सरपंच मुन्नी देवी शर्मा को लिखित पत्र देकर टीम नहीं आने तक चौकीदार तैनात करने और पुलिस की मदद लेने के लिए कहा है। ग्रामीणों ने श्री पांडे को बताया कि सिक्के निकलने की सूचना पर भिंड और आसपास से कुछ सुनार भी आ रहे हैं, जो सिक्के खरीदकर ले जा रहे हैं। ग्रामीणों ने श्री पांडे को कुछ सुनारों के नाम भी बताए हैं।

गांव के हर घर में सिक्के
प्रतापपुरा गांव में बृह्मकिशोर शर्मा के खेत से सोने-चांदी के सिक्के निकल रहे हैं। निरीक्षण के दौरान पुरातत्व अधिकारी श्री पांडे को ग्रामीणों ने बताया कि गांव में शायद एक भी घर ऐसा हो, जहां यह सिक्के नहीं पहुंचे हों। ग्रामीणों ने कहा कि हर घर में इस खेत से निकल रहे सिक्के हैं। किसी के यहां 10 सिक्के पहुंचे हैं तो किसी के यहां पर ज्यादा। कुछ लोगों को सोने के सिक्के भी मिले हैं।

ऐसे शुरू हुए सिक्के निकलना
गांव में बृह्मकिशोर शर्मा के खेत के बगल से सरकारी सैर निकला था। पास में ही नई आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बनाया गया। यहां हैंडपंप लगना था। हैंडपंप के लिए जेसीबी से 19 अक्टूबर को गड्ढा खोदा गया। खनन होने पर गड्ढे को मिट्टी से भर दिया गया। 22 अक्टूबर को आंगनबाड़ी में काम करने वाले मजदूरों को 6 सिक्के मिले। मजदूरों ने ग्रामीणों को दिखाए तो सभी उन्हें ही दे दिए। इसके बाद बात आई गई हो गई। पिछले दिनों यहां कुछ युवकों को फिर से सिक्के मिले। बात पूरे गांव में फेल गई। इसके बाद लोगों का हुजूम यहां आकर खेत की मिट्टी खोदकर सिक्के निकालकर घर ले जा रहा है।

मिट्टी के ढेलों में सिक्के
प्रतापपुरा गांव में खेत से निकल रहे सिक्के इस तरह से नहीं मिल रहे कि किसी का छिपाया हुआ दफीना एक साथ या किसी पात्र में मिल जाए। बल्कि यह सिक्के तो खेत की मिट्टी के ढेलों में निकल रहे हैं। ग्रामीण ढेलों को हाथ से मसलते हैं और उन्हें इनमें से सिक्के मिल जाते हैं। हालांकि शुक्रवार को अटेर एसडीएम ने खेत के एक हिस्से पर मिट्टी डलवाई है, जहां ज्यादा सिक्के निकल रहे थे, लेकिन ग्रामीण इसके बाद भी खेत से सिक्के खोदने के लिए पहुंच रहे हैं। शनिवार को जिला पुरातत्व अधिकारी श्री पांडे के सामने भी यह सिलसिला जारी रहा।
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भोपाल में पुरातत्व विभाग के आला अफसरों को बताया है। जल्द ही हमारी टीम भोपाल से भिंड पहुंचकर उस खेत का निरीक्षण करेगी, जिसमें से सिक्के निकल रहे हैं। हम खेत पर पुलिस व्यवस्था के लिए भी लिख रहे हैं।
शोभाराम वर्मा, उप संचालक, पुरातत्व विभाग ग्वालियर

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