डॉक्टर विजय कुमार नंदमेर पत्नी को खुश करने मां-बाप को पाई-पाई को तरसाता था

भोपाल। झगड़ालू पत्नी को खुश रखने अपने मां-बाप को पाई-पाई को तरसाने और अपमानित करने वाले सरकारी डॉक्टर (DR VIJAY KUMAR NANDMER) को अब हर माह की पहली तारीख को भरण-पोषण के तहत उन्हें दस-दस हजार रुपए देने होंगे। सम्मानपूर्वक देखभाल कर उनके खाने-पीने और दवाइयों का भी इंतजाम करना होगा।

अपने इकलौते बेटे और बहू के अत्याचारों से तंग आकर जिला प्रशासन में न्याय की गुहार लगाने वाले बुजुर्ग दंपती के हक में यह फैसला एमपी नगर एसडीएम रविकुमार सिंह ने सुनाया है। साथ ही पिता के 3 मंजिला मकान के किरायदारों से भाड़ा वसूली के अधिकार से भी डॉक्टर और उसकी पत्नी को बेदखल कर दिया गया है। फैसले के मुताबिक बेटा विजय कुमार नंदमेर और बहू दोनों डॉक्टर हैं और आर्थिक रूप से काफी समर्थ हैं। इसलिए उन्हें किराया वसूलने का कोई अधिकार नहीं है।

68 वर्षीय रामलाल नंदमेर और उनकी पत्नी 62 वर्षीय गुलाब देवी बीएचईएल के भारती निकेतन कॉलोनी में रहते हैं। पिछले साल उन्होंने एमपी नगर एसडीएम की कोर्ट में वरिष्ठ नागरिक एवं माता-पिता के भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत केस दर्ज कराया था। उनकी याचिका के मुताबिक जब से बेटे डॉ. विजय कुमार नंदमेर की जयाप्रदा राजपूत से हुई है, तब से उनका जीवन नर्क बन गया। वजह, बहू का क्रूरतापूर्ण व्यवहार। उसने पुराने नौकरों को घर से निकाल दिया, काम का बोझ उन पर आ गया। बेटे से शिकायत की तो उसने भी अपमानजनक बातें कहीं। खर्च के लिए पैसा देना भी बंद कर दिया। 

मकान में रहने वाले किरायदारों से भी बहू किराया वसूलकर उन्हें वृद्धाश्रम भेजने की धमकी देने लगी। बेटा कहता है घर में रहना है तो बहू की बात सुनते रहो। रामलाल नंदमेर के मुताबिक भेल से रिटायर्ड होने के बाद उन्हें एकमुश्त सर्विस फंड मिला, जिससे उन्होंने 3 मंजिला मकान बनाया और बेटे की शादी की। पेंशन मिलती नहीं हैं। ऐसे में उन्हें रोजमर्रा के खर्चों के लिए भी आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है। बेटा और बहू आए दिन होटल में खाना खाने चले जाते और बाद में घर का बासी खाना उन्हें देते। बेटा अक्सर ड्यूटी पर रहता है। बहू घर से जाते वक्त ताला लगाकर जाती है, इसलिए कई बार घर के बाहर इंतजार करना पड़ता है।

बेटा चाहकर भी नहीं कर पाया माता-पिता की मदद
केस की सुनवाई के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। बुजुर्ग सास-ससुर को उनकी बहू दहेज एक्ट में फंसाने और आत्महत्या की धमकी देकर ब्लैकमेल की करती थी। डॉक्टर बेटे ने भी स्वीकार किया कि वह अपने माता-पिता की देखभाल अच्छी तरह करना चाहता है, लेकिन पत्नी बार-बार झगड़ा करती है। वह माता-पिता को छोड़ने के लिए दबाव बनाती है। हर महीने पूरी पगार छुड़ा लेती है। घर में शांति बनी रहे, इसलिए वह मजबूर होकर माता-पिता की देखभाल नहीं कर पा रहा है।

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