नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 500-1000 नोट पर बैन लगा दिया। देश में इस पर बैन तो लग गया है, लेकिन कई सवाल अनसुलझे हैं। नोट कैसे बदलेंगे, मेरे पैसे क्या होगा? घर में रखे 500-1000 नोट का क्या होगा? दो दिन में अगर बड़े आयोजन हैं, जैसे शादी-ब्याह तो पैसे खर्च होंगे?
इन सवालों के कोई जवाब नहीं
- दो दिन बाद देवउठनी ग्यारस है। इस दिन देशभर में 40 हजार से ज्यादा शादियां हैं। लोगों ने हलवाई, टेंट वाले आदि को देने के लिए कैश घर पर रख रखा है। वो अब क्या करेंगे? बैंक जाकर भी बदलवाते हैं तो सिर्फ 4 हजार रुपए ही बदलवा सकेंगे।
- छोटी फैक्ट्रियों, कारखानों के मालिकों ने कर्मचारियों को बांटने के लिए सैलरी निकाल रखी है। वो पैसे भी एक साथ नहीं बदलवा सकेंगे। ऐसे में क्या कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं अटक जाएगी?
- छोटे मजदूर जिनका कोई बैंक खाता नहीं है, वो अपनी पगार के बड़े नोट कहां बदलवाएंगे? दिहाड़ी मजदूरों पर बड़ा असर पड़ेगा। क्या वे भूखे रहेंगे?
- जिन लोगों के परिजन प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हैं। उनका क्या होगा। अस्पताल वाले बिना पैसा लिए इलाज नहीं करते। छोटे शहरों के ज्यादातर अस्पताल चैक नहीं लेते। हजारों लोग नगद पैसा हाथ में लिए अस्पतालों में भर्ती हैं। उनके पास रखा हुआ नगदी तो रद्दी हो गया। जो भी होगा, कुछ दिनों बाद होगा। तब तक क्या करें।
- जो लोग सफर में चल रहे हैं, उनका क्या होगा। आदमी सफर में जाने से खर्चे के पैसे नगद निकालकर रख लेता है। भारतीय रेलों में हर रोज करोड़ों लोग सफर करते हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है। सफर के दौरान 80 प्रतिशत पैसा नगद ही खर्च होता है। चैक का उपयोग 00 प्रतिशत है जबकि प्लास्टिक मनी केवल ब्रांडेड होटल या रेस्टोरेंट में ही उपयोग हो सकती है। भारत के 400 शहरों में ज्यादातर होटलों के पास प्लास्टिक मनी या आॅनलाइन ट्रांसफर की सुविधा ही नहीं है।
- यह महीने की 9 तारीख है। ज्यादातर लोगों ने एकाध दिन पहले ही घर खर्च का सारा पैसा एटीएम से निकाला है। दूधवाला, राशनवाला, स्कूल बस, बिजली का बिल, स्कूल की फीस, काम वाली बाई के पैसे, रसोई गैस ऐसे तमाम सारे खर्चे अगले 7 दिनों में करने है। इन 7 दिनों में नोटों की किल्लत कम नहीं होगी। बैंकों में लंबी कतारें लगेंगी। सबकुछ आसान नहीं है। घर कैसे चलाएं।