2 दिन से बैंक की लाइन में लगा था किसान, बैंक ने भगाया तो सुसाइड कर लिया

रायपुर/छत्तीसगढ़। बैंकों में लगीं लंबी लाइनों से ज्यादा कष्टकारी हो रहा है बैंकों का बेकार प्रबंधन। नोटबंदी के बाद बैंकों के सारे तरीके ही बदल गए हैं। इनमें से एक है थर्डपार्टी पेमेंट का प्रतिबंधित हो जाना। इसी से तंग आकर किसान ने सुसाइड कर लिया। वो अपने बेटों के खाते में पैसे जमा कराने 2 दिन से रोज लाइन में खड़ा होता था। लेकिन बैंक वाले उसकी समस्या समझने को तैयार ही नहीं थे। बैंक वालों का कहना था ​कि बेटे के खाते में पैसे डालने हैं तो बेटे को लेकर आओ। 

बेटों के खाते में पैसे जमा कराना चाहता था किसान
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किसान रवि प्रधान (45) रायगढ़ के बरमकेला तहसील के सरिया ब्लॉक का रहने वाला था। वह पिछले दो दिनों से सरिया स्थित एसबीआई बैंक पर लाइन में लगकर कैश जमा करवाने की कोशिश कर रहा था लेकिन जैसे ही वो अंदर जाता, बैंक वाले उसे वापस भगा देते। बैंक कर्मचारियों का कहना था कि खाताधारक स्वयं आकर ही अपने खाते में पैसे जमा करा सकता है। थर्डपार्टी डिपॉजिट नहीं लिया जाएगा। बेटों को वक्त पर पैसे न भेज पाने के दुख में आखिरकार उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

तमिलनाडु में फंस गए हैं बेटे 
मौके पर मौजूद लोगों ने बताया- किसान के दो बेटे तमिलनाडु में धोखे का शिकार हो गए हैं। दोनों बेटों को काम किए जाने के बदले में पैसे नहीं दिए गए, जिसकी वजह से वे काफी परेशान हैं। पिता को फोन पर बात करके बेटों ने उनसे पैसे जमा कराने के लिए कहा था। बेटों की परेशानी को समझते हुए पिता ने बेटों को भेजने के लिए कुछ पैसे उधार लिए थे, लगातार दो दिनों तक वह पैसे जमा कराने के लिए बैंक भी गया, लेकिन पैसे जमा नहीं कर पाया।  

बैंक वाले मदद करते तो किसान जिंदा होता
आरबीआई ने थर्डपार्टी पेमेंट फिलहाल प्रतिबंधित कर दिया है। आप केवल अपने ही खाते में नगदी जमा करा सकते हैं। किसी दूसरे के खाते में नहीं लेकिन बैंकों में इस समस्या का भी एक समाधान मौजूद है। बैंक कर्मचारी उसकी समस्या को सुनकर उसके खाते में पैसा जमा कराते और बेटों के खाते में एनईएफटी कर देते। यह बहुत आसान था और इसमें मात्र 15 मिनट का समय लगता परंतु ऐसा नहीं हुआ। बैंक वाले मदद करते तो किसान जिंदा होता। ( पढ़ते रहिए bhopal samachar हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)
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