160 में से 80 गार्ड वीआईपी की बेगारी में है, जेल ब्रेक कैसे ना हो

भोपाल। सेंट्रल जेल से फरार हुए आतंकवादियों के मुद्दे पर सवाल उठाते ही सोशल मीडिया के कुछ उपद्रवी देशभक्ति/देशद्रोह के गीत गाने लगते हैं जबकि इस मामले की तह तक जाना जरूरी है। जेल ब्रेक क्यों हुई, गार्ड कहां थे। पता लगाया तो मालूम हुआ कि 160 में से 80 तो वीआईपी की बेगारी में तैनात हैं। जब जेल में गार्ड ही नहीं है तो ब्रेक कैसे ना हो। 

ये सभी गार्ड अवैधानिक तरीके से जेल के स्थान पर अन्य जगहों पर तैनात किए गए हैं - मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जेलमंत्री कुसुम मेहदाले, पूर्व जेलमंत्रियों, जेल अधिकारियों के घर तथा कार्यालय, और यहां तक कि जेल मुख्यालय में भी। 

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था वाली राज्य की सबसे सुरक्षित जेल में मौजूद लगभग 3,300 कैदियों के लिए यहां सिर्फ 139 गार्ड हैं। 

जेलमंत्री कुसुम मेहदाले ने कहा, "मुझे लगता है, आप बात को बढ़ा-चढ़ाकर कह रहे हैं। उन्होंने कहा, "मेरे पास एक ड्राइवर है, और दो लोग मेरे कार्यालय में हैं। मुझे बाकियों का नहीं पता, लेकिन वह नहीं हो सकता, जो आप कह रहे हैं लेकिन मैं फिर भी जांच करूंगी। 

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के छोर पर बनी जेल में गार्ड के लिए 250 पद हैं, जिनमें से 31 रिक्त हैं। इन गार्डों में से 70 ट्रेनी हैं। टंगक्लीनर, चादरों, और बर्तनों की मदद से आठ कैदियों के फरार हो जाने को देखते हुए यह हिसाब काफी चिंताजनक है। 

दीवाली की रात को आठ कैदियों ने टंगक्लीनरों से बनी चाबियों की मदद ली, स्टील की पैनाई हुई प्लेटों से एक गार्ड का गला रेत दिया, और चादरों को जोड़कर 30-30 फुट ऊंची दो दीवारें फांदकर फरार हो गए। यह तथ्य चकराने वाले हैं कि इन हरकतों पर किसी की नज़र क्यों नहीं पड़ी।

इसके बाद वे कैदी जेल से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक गांव की तरफ पैदल ही गए, और बाद में पुलिस ने मुठभेड़ में सभी को मार गिराया।

इसके बाद सामने आए मुठभेड़ के वीडियो की वजह से कार्रवाई पर कई सवालिया निशान लगे, जिन्हें देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने एक पूर्व जज द्वारा जेलब्रेक तथा मुठभेड़ की जांच करवाने के आदेश दे दिए हैं।

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