भोपाल। मध्य प्रदेश में स्वच्छता मिशन के तहत अनूठे प्रयोग जारी हैं। 'भाई नंबर 1', 'ऑपरेशन मलयुद्ध' के बाद अब 'नो शौचालय- नो सैलरी' प्रयोग भी शुरू किया गया है। यह प्रयोग राज्य के शहडोल जिले में शुरू किया गया है, जहां घर में शौचालय नहीं होने पर सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाएगा।
दरअसल, शहडोल जिले को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चल रहा है। इस दौरान ग्रामीण अंचलों में कई जगहों पर सरकारी कर्मचारियों के यहां ही शौचालय नहीं होने की बात सामने आई थी। यह जानकारी मिलने पर कलेक्टर मुकेश कुमार शुक्ला ने बकायदा एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत नवंबर महीने में उन्हीं कर्मचारियों को वेतन जारी किया जाएगा, जिनके घर में शौचालय बने हुए हैं।
नो शौचालय, नो सैलरी
कलेक्टर ने अपने आदेश में साफतौर पर इस बात का जिक्र किया है कि जिन कर्मचारियों के घरों में शौचालय नहीं हैं उन्हें सैलरी नहीं दी जाएगी। इसके लिए उन्हें अपने घर में शौचालय बनाकर कोषालय में प्रमाण पत्र जमा कराना होगा।
वेरीफिकेशन बाद ही मिलेगी सैलरी
कलेक्टर के इस आदेश से कर्मचारी केवल प्रमाण पत्र देकर नहीं बच सकते हैं। इन प्रमाण पत्रों का भौगोलिक सत्यापन भी किया जाएगा, जिसके बाद ही कर्मचारियों को सैलरी दी जाएगी। सत्यापन के दौरान यह भी देखा जाएगा कि कर्मचारी अपने घर में शौचालय बनवाने के बाद पूरे परिवार के साथ उपयोग करने लगा है कि नहीं।
शौचालय बनने तक रुका रहेगा वेतन
प्रशासनिक अफसरों के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों का वेतन तब तक रुका रहेगा जब तक वह शौचालय बनाने और उसके इस्तेमाल करने के मापदंडों को पूरा नहीं कर लेते। कर्मचारी के इस पैमाने पर खरा उतरने के बाद ही उसे वेतन जारी किया जाएगा। अफसरों ने बताया कि जिले को खुले में शौच मुक्त करने के लोगों को जागरुक किया जा रहा है। इसी कड़ी में यह आदेश जारी किया गया है।