नईदिल्ली। हालांकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपनी गणवेश में बदलाव कर लिया है और अब उसकी यूनीफार्म में फुलपेंट ही शामिल हो गया है परंतु एक मामले की सुनवाई के दौरान मद्रास हाईकोर्ट ने संघ को पथसंचालन के दौरान स्वयंसेवकों को फुल पैंट पहनने का आदेश दिया है। तमिलनाडु के महान संत रामानुज की 9 अक्टूबर को 1000वीं जयंती है। इस मौके पर आरएसएस तमिलनाडु की प्रदेश के 14 शहरों में रैलियां और पथ संचालन करने की योजना है। इसके लिए संघ ने पुलिस और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन से इजाजत मांगी थी लेकिन जब प्रशासन से कोई सीधा जवाब नहीं मिला तो संघ ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से कहा गया कि राज्य में 17 से 19 अक्टूबर तक निकाय चुनाव हैं और कोयंबटूर में पिछले महीने हिंदुवादी नेता मुन्नानी के मर्डर से तनाव है। हाईकोर्ट ने संघ को इजाजत देते हुए कहा कि, ”रैलियों में किसी तरह का गैरकानूनी काम और ऐसी नारेबाजी नहीं होनी चाहिए, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे और माहौल खराब हो। पुलिस के निर्देशों को ध्यान में रखकर रैली निकाली जा सकती हैं।”
संघ के ड्रेस कोड पर कोर्ट ने कहा कि रैलियों में शामिल होने वाले स्वयंसेवक हॉफ की जगह फुल पैंट पहनकर आएं। कोर्ट ने कहा, ”राज्य में निकाय चुनाव को देखते हुए रैलियां अक्टूबर की बजाय नबंवर 6 या 13 को निकाली जाएं।” ”विजयादशमी और डॉ. अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर कोई रैली नहीं निकाली जाए। संघ के कार्यकर्ताओं की सफेद शर्ट और खाकी हॉफ पैंट वाली ड्रेस राज्य पुलिस की ट्रेनिंग के दौरान पहनी जाने वाली ड्रेस से काफी मिलती-जुलती है। ऐसे में कोर्ट ने फूल पैंट पहनकर संघ कार्यक्रम करने का आदेश सुनाया है। वैसे 90 साल से चल रहे संगठन आरएसएस ने इसी साल अपने गणवेष में बदलाव कर हॉफ पैंट को फुल पैंट करने की निर्णय लिया था।