NHM से हटाए गए कर्मचारियों को मिला स्टे

भोपाल। मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत सरदार वल्लभ भाई पटेल निशुल्क दवा वितरण योजना में कार्य करने वाले सैकड़ों दवा वितरण सहायकों (र्स्पोटिंग स्टाफ) की सेवाएं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र ने विगत माह समाप्त कर दी थी। जिसके विरोध में मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर अधिकारियों को सेवा समाप्ति के विरोध में ज्ञापन सौंपा था। 

उसके बाद हटाये गये दवा वितरक सहायकों ने इंदौर में माननीय उच्च न्यायालय में एनएचएम के खिलाफ माननीय इंदौर उच्च न्याय में एक याचिका दायर की थी । जिसकी सुनवाई के बाद माननीय उच्च न्यायालय इंदौर के न्यायाधिपति प्रकाश श्रीवास्तव ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दवा वितरण सहायकों को हटाने के आदेश को आगामी आदेश तक स्टे कर दिया जिस आदेश से दवा वितरण सहायकों को हटाया गया था। 

महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि दवा वितरण सहायकों की नियुक्ति विधिवत् सरदार वल्लभ भाई पटेल निःशुल्क दवा वितरण केन्द्रों में समाचार पत्रों में विज्ञापन निकालकर विधिवत् एम.पी. आन लाईन की परीक्षा में मेरीट के आधार पर दवा वितरण सहायकों की नियुक्ति विगत तीन वर्ष पूर्व की गई थी । राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ( एन.एच.एम ) ने तीन वर्ष कार्य लेने के पश्चात् जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र जारी कर निर्देश जारी किये गये हैं कि वर्ष 2016-17 की वार्षिक कार्य योजना में दवा वितरण सहायकों के पद की स्वीकृति और बजट नहीं होने के कारण इनकी सेवाएं समाप्त की जाएं । जिसके कारण जिलों में कार्यरत दवा वितरण सहायकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। सरदार वल्लभ भाई पटेल दवा वितरण योजना में इनके साथ फार्मासिस्ट, कम्प्युटर आपेरटर की भी नियुक्ति की गई थी उनकी सेवाएं यथावत् जारी हैं । केवल दवा वितरण सहायकों की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश जारी किये गये थे। 
इन लोगों ने ली थी हाईकोर्ट की शरण - योगेश दसोन्धी, अवनेश पाटीदार, सुनीता मूवेल, मनीषा दीक्षित, रूबान सिंह पिपलोदे , हितेश चौहान, खूम सिंह तनवार, दिनेश वासकेल, सारंग साल्वे, संगम रोमडे, पूजा जादौन, सत्येन्द्र शाक्य, प्रवीण कर्मा, रानी बडोडिया । 

विभाग ने पद समाप्त करने का लिया था झूठ का सहारा - 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा बार-बार यह कहा जा रहा था कि वार्षिक कार्य योजना में पद समाप्त हो गये हैं । जबकि असलीयत यह है कि वार्षिक कार्य योजना यहीं से बनाकर भेजी जाती है । अधिकारियों के द्वारा खुद ही म.प्र. से कार्य योजना में इनके पद प्रस्तावित नहीं किये जिसके कारण केन्द्र से बजट नहीं आया अब अधिकारी केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय पर आरोप लगा रहे हैं कि वहां से बजट नहीं आया जबकि यहीं से इन पदों के लिए बजट प्रस्तावित नहीं किया गया। 

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