पाक के Cyber Attack का तोड़ खोजें

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के एक हैकर ग्रुप ने 7070 भारतीय वेबसाइट हैक करने का जो दावा किया है, उसमें कुछ भी नया नहीं है। यह एक ऐसा सिलसिला है, जो पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से चल रहा है। यह पाकिस्तान से होने वाले आतंकवादी हमलों का खतरा ज्यादा बड़ा है, इसलिए ऐसे साइबर हमलों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। वैसे भी, प्रचार पाने के लिए की गई हैकिंग के ऐसे दावों में अतिशयोक्ति ज्यादा होती है और उनका असर उसके मुकाबले काफी कम होता है। जैसे ‘पाकिस्तान हैक्सर्स क्रू’ नाम के हैकर संगठन ने जो 7070 वेबसाइट हैक करने का दावा किया है, उनमें से ज्यादातर वेबसाइट नहीं, बल्कि वेबपेज हैं, जहां उन्होंने उस पेज की सामग्री को मिटाकर अपने नारे वगैरह लिख दिए। इंटरनेट की भाषा में इसे वेबसाइट को डीफेस करना या कुरूप बना देना कहते हैं।

पाकिस्तान की ओर से अभी तक जो साइबर हमले हुए हैं, उन्हें आमतौर पर बचकाने साइबर हमलों की श्रेणी में रखा जा सकता है। इनमें आमतौर पर किसी वेब पेज का हुलिया बिगाड़ देना और कुछ नारे वगैरह लिख देना शामिल होता है। इससे ज्यादा नुकसान अभी तक पाकिस्तान के हैकर नहीं पहुंचा सके हैं। ऐसा सबसे बड़ा साइबर हमला केनरा बैंक की वेबसाइट पर हुआ था, जब फैजल1337 नाम के एक हैकर ने पेमेंट गेटवे पेज को हटाकर उसकी जगह अपना एक पेज डाल दिया था। लेकिन उस हमले में न तो केनरा बैंक का डाटा चोरी हुआ और न ही उसे कोई आर्थिक नुकसान ही पहुंचा। इसी हैकर ने भारतीय रेलवे की वेबसाइट भी हैक कर ली थी।
अगर पश्चिमी देशों से तुलना करें, तो साइबर हमले के मामले में भारत अभी काफी सुरक्षित स्थिति में है। हमारी ज्यादातर व्यवस्थाएं अभी इंटरनेट पर इस तरह से निर्भर नहीं हैं, इसलिए खतरे उतने बड़े नहीं हैं। शायद इसीलिए भारतीय कंपनियां और यहां तक कि सरकारें भी अपनी वेबसाइटों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं करतीं, जिसके चलते पाकिस्तान के दुधमुंहे हैकरों तक के लिए उनका हुलिया बिगाड़ना कोई मुश्किल काम नहीं रह जाता। लेकिन यह स्थिति ज्यादा दिन तक चलने वाली नहीं है।

अगर हम अपनी व्यवस्थाओं को नए जमाने के हिसाब से कार्यकुशल बनाना चाहते हैं, तो उनकी इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ानी ही होगी। यह बढ़ भी रही है। जैसे-जैसे यह निर्भरता बढ़ेगी, खतरा भी बढ़ेगा। नुकसान पहुंचाने की मंशा रखने वालों को खेल का एक बड़ा मैदान मिलेगा। तब यह भी मुमकिन है कि आज हमारा सामना जिन दुधमुंहे हैकरों से हो रहा है, उनकी जगह की-बोर्ड इस्तेमाल करने वाले खतरनाक आतंकवादी ले लें। इस स्थिति का मुकाबला सुरक्षा बढ़ाकर ही किया जा सकता है। बाकी दुनिया के विपरीत साइबर सुरक्षा न तो अभी हमारी बड़ी प्राथमिकता है, और न ही हमारी आदत। अगर साइबर आतंकवाद से खुद को बचाना है, तो हमारे पास इसका कोई विकल्प नहीं है। देश में साइबर सुरक्षा को नजरअंदाज किया जाना खतरनाक तो है ही, शर्मनाक भी है। दुनिया को सबसे ज्यादा संख्या में साइबर प्रोफेशनल देने वाले देश से कोई यह उम्मीद नहीं करेगा।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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