दैवेभो कर्मचारियों के साथ ठगी कर गई शिवराज सरकार

भोपाल। नियमितीकरण के नाम पर शिवराज सरकार ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के साथ ठगी कर ली है। सरकार ने उन्हे नियमित नहीं किया बल्कि स्थाईकर्मी नाम देकर एक अलग श्रेणी बना दी। कर्मचारी नेता आदेश का इंतजार कर रहे थे। आदेश भी जारी हो गया। अब कर्मचारी फिर से सुप्रीम कोर्ट में जाने का मन बना रहे हैं। क्योंकि सरकार का आदेश, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। 

मप्र दैनिक वेतन भोगी महासंघ के अध्यक्ष गोकुलचंद्र राय का कहना है कि सरकार ने अदालत के आदेश का पालन ही नहीं किया। रेगुलर कर्मचारियों को पेंशन मिलती है, ग्रेच्युटी फिक्स नहीं होती। नियमित कर्मचारियों के कैडर होते हैं श्रेणी नहीं होती। शासन द्वारा हाल ही में जारी किए गए आदेश में दैवेभो की तीन श्रेणियां अकुशल, अर्धकुशल और कुशल बनाकर ग्रेच्युटी फिक्स कर दी। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने पीएचई के कर्मचारी सुल्तान सिंह नरवरिया मामले में आदेश देते हुए कहा था कि यह आदेश सभी पर लागू होता है। 

राय ने कहा कि इस मामले में लीगल एडवाइजर से बात की जा रही है, पूरे तथ्यों का बारीकी से परीक्षण कर जल्द ही याचिका दायर की जाएगी। राय ने बताया कि दैवेभो को रेगुलर करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले साल जनवरी में दिए गए आदेश का पालन नहीं करने पर सरकार के खिलाफ कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी। इसके बाद सरकार ने दैवेभो को स्थाई कर्मी बना दिया। 

दस हजार उच्च कुशल श्रमिकों को वेतनमान से कर दिया वंचित 
मप्र कर्मचारी कांग्रेस ने दैनिक वेतन भोगियों की श्रेणियों के मामले में सरकार से पुनर्विचार की मांग की है। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र खोंगल ने कहा है कि पदनाम बदलकर स्थाई कर्मी तो करके तीन श्रेणी बना दी। इसमें उच्च कुशल श्रेणी को छोड़ दिया। इस श्रेणी में प्रदेश के दस हजार कर्मचारी आते हैं। जिनमें सब इंजीनियर, स्टेनोग्राफर्स, कम्प्यूटर ऑपरेटर्स, स्टेनो टायपिस्ट शामिल हैं। इन कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतनमान नहीं मिल सकेगा। इस मांग को लेकर सीएम को ज्ञापन भेजा गया है। संगठन का प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को वित मंत्री जयंत मलैया से भी मिलेगा। 

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