जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कलेक्टर पर माइनिंग माफिया के संरक्षण के आरोप वाली जनहित याचिका को गंभीरता से लिया। इसी के साथ राज्य शासन व कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया गया। इसके लिए 24 अक्टूबर तक का समय दिया गया है।
सोमवार को न्यायमूर्ति आरएस झा व जस्टिस सीवी सिरपुरकर की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता बुरहानपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता गुरदीप सिंह की ओर से अधिवक्ता श्रेयस धर्माधिकारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि नाचनखेड़ा और रहेटा की रेत खदानों की विधिवत नीलामी प्रक्रिया न अपनाकर कलेक्टर ने अपने खास माइनिंग ठेकेदारों को उपकृत किया। इसके लिए नियमों को शिथिल करने के अलावा राज्य शासन के समक्ष गलतबयानी तक का तरीका अपनाया गया। इसी से मिलीभगत का अंदाजा लगाया जा सकता है।
भ्रष्टाचार के इस मामले के तूल पकड़ने के बावजूद जिला प्रशासन हठधर्मी रवैया अपनाए हुए है। इसीलिए व्यापक जनहित में हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। कायदे से मनोज अग्रवाल सहित अन्य को जारी किए गए रेत खनन के ठेके रद्द करके नए सिरे से नीलामी प्रक्रिया अपनाई जानी चाही। इससे अपेक्षाकृत ईमानदार ठेकेदारों को ठेका मिलेगा। पर्यावरणीय अनुमति के बगैर माइनिंग माफिया रेत खनन के जरिए राजस्व क्षति पहुंचा रहे हैं।