प्रमोशन में आरक्षण बरकरार रखने कानूनों की किताबें खंगाल रही है सरकार | कर्मचारी समाचार

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान के 'माई का लाल' वाले बयान ने पूरी सरकार के सिर में दर्द पैदा कर दिया है। सरकार इस मामले में बैकफुट पर आने के मूड में नहीं है। उसने देश का सबसे महंगा वकील कर लिया है, फिर भी कानून की किताबें खंगाली जा रहीं हैं। देश के दूसरे राज्यों में मौजूद नियमों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि सुप्रीम कोर्ट में संभावित हार से बचा जा सके। सरकार ने उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान के पदोन्न्ति नियम बुलवा लिए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में आरक्षण से प्रमोशन प्राप्त कर चुके 35 हजार कर्मचारियों को रिवर्ट कर दिया था। 

इस मामले में ओएसडी बनाए गए अपर सचिव जीएडी की दिल्ली यात्राएं शुरू हो गई हैं। राज्य सरकार उन राज्यों के पदोन्न्ति नियमों का परीक्षण कर रही है, जिनको लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले फैसला सुना चुका है और इनमें से कुछ राज्यों ने कर्मचारियों को रिवर्ट भी किया है। प्रदेश सरकार इसमें से बचाव का रास्ता तलाशने की कोशिश में है। सरकार ने आरक्षित वर्ग के कर्मचारी संगठन अजाक्स की मांग पर देश के सबसे महंगे वकील हरीश साल्वे को इस प्रकरण से जोड़ दिया है। 8 नवंबर की सुनवाई में वे सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखेंगे। 

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हिमाचल और हरियाणा में पदोन्न्ति में आरक्षण मामले को लेकर फैसला सुना चुका है। इनमें से उत्तर प्रदेश ने करीब 35 हजार कर्मचारियों को रिवर्ट भी कर दिया है। मामले में सरकार के ओएसडी एवं अपर सचिव जीएडी केके कातिया की दिल्ली यात्राएं शुरू हो गई हैं। सूत्र बताते हैं कि कातिया पिछले दिनों वकील हरीश साल्वे को प्रकरण की पैरवी का लेटर देने दिल्ली गए थे। जहां उन्होंने वकील साल्वे को प्रकरण की विस्तार से जानकारी भी दी है। 

जवाब पर काउंटर करेगा सपाक्स 
अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों का संगठन सपाक्स भी सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित सुनवाई की तैयारी में जुटा है। सपाक्स के नेताओं का कहना है कि कोर्ट में सरकार के जबाव को काउंटर किया जाएगा। सपाक्स के अध्यक्ष डॉ. आनंद कुशवाह बताते हैं कि हम सुनवाई की तैयारी में जुटे हैं। सरकार के हर जवाब को हम काउंटर करेंगे। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !