भोपाल। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने 'लोकप्रिय और लोकहित' का प्रसंग छेड़ कर बुद्धिजीवि वर्ग में शिवराज सरकार की समीक्षा का दौर शुरू कर दिया है। कैलाश के बाद शिवराज सिंह ने इस मामले में अपनी सफाई पेश करने की कोशिश की परंतु वो सफल नहीं हो पाए। वो यह समझाने में बिफल रहे कि लोगों को ऐसी चीजें और सुविधाएं मुफ्त में देने की क्या जरूरत है, जो उनके जीवन के लिए जरूरी नहीं हैं। अलबत्ता भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे स्पष्ट रूप से कैलाश विजयवर्गीय के साथ नजर आए।
सीएम शिवराज सिंह ने बिना किसी का नाम लिए प्रशासन अकादमी में आयोजित कार्यशाला में कहा कि जनता के नाराज होने के डर से हमें अप्रिय फैसले लेने से नहीं बचना चाहिए, लेकिन लोक कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को लाभ देना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें दूरगामी फैसले लेने चाहिए। नेताओं को सिर्फ चुनाव के बारे में नहीं सोचना चाहिए। शिवराज ने कहा कि इस प्रवृत्ति से काम नहीं चल सकता कि लोग नाराज हो जाएंगे, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि किसी का रोजगार खत्म न हो। बेहतर सेवाएं देने के लिए जरूरी पैसा जनता से ही आएगा और यह पैसा लेना चाहिए। मुख्यमंत्री शहरी विकास की योजनाओं पर आयोजित कार्यशाला में नगरीय निकाय के प्रमुखों को संबोधित कर रहे थे।
विजयवर्गीय का समर्थन करते दिखे सहस्त्रबुद्धे
सोमवार दोपहर भोपाल पहुंचे भाजपा के प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे परोक्ष रूप से विजयवर्गीय के बयान का समर्थन करते दिखे। उन्होंने कहा कि सरकारों ने लोगों को मुफ्तखोरी की आदत डाल दी है। हालांकि कई बार ऐसी जरूरत होती है कि सरकार लोगों को सीधे मदद करे। सहस्त्रबुद्धे भाजपा के मुख्यमंत्रियों के साथ गरीब कल्याण एजेंडे की बैठक में भाग लेने भोपाल आए हैं।
यह कहा था विजयवर्गीय ने
कैलाश विजयवर्गीय ने पिछले दिनों कहा था कि मैं मुख्यमंत्री होकर बिजली बिल माफ करूं तो यह लोकप्रिय निर्णय होगा। ऐसे निर्णय कमजोर सरकार लेती है। लोकहित के निर्णय के लिए साहस चाहिए।