भोपाल में भाजपा और आरएसएस के बीच तनाव, लामबंद हुए विधायक

BHOPAL। मप्र में सत्ता को 15 साल होने जा रहे हैं। अब BJP और RSS के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। आरएसएस का भाजपा और सत्ता में दखल तेज हो रहा है वहीं भाजपा और सरकार के मंत्री चाहते हैं कि आरएसएस के लोग अपने सम्मानजनक दायरे में रहें। ताजा मामला भोपाल में भाजपा के जिलाध्यक्ष का है। यहां आरएसएस के विरुद्ध भोपाल के सभी भाजपा विधायक लामबंद हो गए हैं। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से पूर्व जिलाध्यक्ष (भोपाल) भगवानदास सबनानी का नाम आगे बढ़ाया गया है। संघ का आदेश है तो शिरोधार्य होगा ही। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान संगठन के फैसले सुनाते भर हैं, सभी महत्वपूर्ण निर्णय सीएम हाउस में ही होते हैं अत: भोपाल के सभी भाजपा विधायक विश्वास सारंग, सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा, विधायक रामेश्वर शर्मा व सुरेंद्रनाथ सिंह, पूर्व महापौर कृष्णा गौर और राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता के प्रतिनिधि के तौर पर एक नेता सीधे सीएम शिवराज सिंह चौहान से जाकर मिले। 

सुबह साढ़े नौ बजे सीएम निवास पहुंचे विधायकों व नेताओं ने सीएम से कहा कि सबनानी दो बार पार्टी छोड़ चुके हैं। दीनदयाल शताब्दी वर्ष में ऐसे निर्णय से कार्यकर्ताओं में मैसेज अच्छा नहीं जाएगा। विधायकों ने मुख्यमंत्री को विकल्प के तौर पर रामदयाल प्रजापति का नाम सुझाया। साथ ही कहा कि सुरेंद्रनाथ सिंह को भी जिम्मा दिया जा सकता है। यदि इसमें भी परेशानी हो तो वर्तमान जिलाध्यक्ष आलोक शर्मा के पास ही यह पद बने रहने दें। यहां बता दें कि वर्तमान जिला उपाध्यक्ष अशोक सैनी, अनिल अग्रवाल भी इसकी दावेदारी कर रहे हैं। 

कुल मिलाकर पेंच फंस गया है। सीएम आरएसएस और बीजेपी के बीच में अटक गए हैं। फिलहाल वो चुप हैं और कोई तीसरा रास्ता खोज रहे हैं। संघ चाहता है कि इसी सप्ताह जिलाध्यक्ष की घोषणा कर दी जाए। इससे पहले सीएम बालाघाट मामले में फंस गए थे। एक तरफ आरएसएस थी तो दूसरी तरफ पुलिस विभाग। गृहमंत्री ने जब अपने बयान में 'हमारे प्रचारक' शब्द का उपयोग किया तो पुलिस विभाग में इसका तीखा विरोध हुआ। अधिकारियों का सवाल था कि यदि प्रचारक आपके हैं तो पुलिस विभाग किसका है। 

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