धिक्कार है उन पर जो चीनी लाइट की होली जलाते हैं, चीनी प्रोजेक्ट के आगे दुम हिलाते हैं

प्रिय पाठक साथियो, 
इन दिनों वाट्सएप पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। बड़ा ही मार्मिक है। आपके पास तक भी पहुंचा होगा। 
एक व्यक्ति अपने घर में दीपावली की सजावट कर रहा था कि तभी एक मासूम कन्या उनके पास पहुंची और पूछने लगी। अंकलजी, आप मेरे पापा को क्यों मारना चाहते हो। 
अंकल समझ नहीं पाए, उन्होंने पूछा मैं क्यों तुम्हारे पापा को मारूंगा। 
बिटिया बोली: अंकल आप जो ले चीन की लाइट लगा रहे हो, इस पैसे से चीन पाकिस्तान की मदद करेगा। आतंकवादी हथियार खरीदेंगे और हो सकता है इसी पैसे से खरीदी गई गोली से मेरे पापा की मौत हो जाए। 
यह सुनते ही अंकल ने चीन की सारी लाइट निकालकर फैंक दी। इसके बाद उन तमाम लोगों को धिक्कारा गया है जो अपील दर अपील के बाद भी चीन की लाइट लगाने जा रहे हैं। उन्हें आतंकवादी और देशद्रोही करार दिया गया है। 

मेरे साथियो, मैं आपसे सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि वो बिटिया मासूम है। वो ऐसे सवाल कर सकती है और उसकी खुशी के लिए हम चीन की 35 रुपए वाली लाइट क्या, 35 हजार वाला आईफोन भी तोड़कर फैंक सकते हैं, लेकिन आप तो समझदार हैं। उस वाट्सएप की अधूरी कहानी को फार्वर्ड करने से पहले जरा सोचिए, कि क्या इतने भर से काम हो जाएगा। 
मोदी सरकार ने जो हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट चीन की कंपनियों को सौंप रखे हैं। 
महाराष्ट्र सरकार जो हजारों करोड़ के काम चीन की कंपनियों से करा रही है। 
मप्र सरकार जिसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह उरी हमले के बाद भी चीन के व्यापारियों का स्वागत सत्कार कर रहे हैं। उन्हें निवेश करने के लिए टैक्स में छूट दे रहे हैं। 
क्या इन्हें नहीं रोकना चाहिए। पड़ौस वाले अंकल की लाइट से तो एक अदद गोली भी नहीं आएगी लेकिन जो पैसा और टैक्स में छूट भाजपा की सरकारें चीनी कारोबारियों को दे रहीं हैं, उससे परमाणु बम भी बनाए जा सकते हैं। 
मैं करण जोहर का विरोध करने वाला का समर्थन करता हूं परंतु समझ नहीं पाता कि उनकी मर्दानदगी उस वक्त कहां गायब हो जाती है जब नागपुर और इंदौर में उरी हमले के बाद भी चीनी कारोबारियों का स्वागत किया जाता है। 'फिल्म रिलीज नहीं होने देंगे' इस तरह की धमकी देने वाले देशभक्त 'इंदौर ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट नहीं होने देंगे' इस तरह की धमकी क्यों नहीं देते। पाकिस्तानी कलाकारों को मार भगाने वाले देशभक्त उस वक्त क्यों कायर हो जाते हैं जब चीन के कारोबारी सरकारी मेहमान बनकर भारत की धरती पर आते हैं। 
250 रुपए के अनलिमिटेड डाटा प्लान के साथ वाट्सएप और फेसबुक पर देशभक्ति दिखाने वालो, यदि सचमुच भारत मां की संतान हो तो कागज कलम उठाओ, एक चिट्ठी लिखो भारत के प्रधानमंत्री के नाम और रजिस्टर्ड डाक से पीएमओ को भेजो। लिखो अपने प्रिय प्रधानमंत्री को, आप चीन को भारत में कारोबार करने से नहीं रोक सकते, कोई बात नहीं। चीन को सरकारी प्रोजेक्ट देने से तो इंकार कर सकते हो। उरी हमले के बाद भारत आए चीनी कारोबारियों को टैक्स में छूट देने से तो इंकार कर सकते हो। कम से कम राज्यों में बैठे भाजपा के मुख्यमंत्रियों से तो कह सकते हो कि निवेश के लिए दुनिया के कारोबारियों को बुलाएं लेकिन चीन के कारोबारियों को ना बुलाए। 
धिक्कार है ऐसी माताओं पर जिन्होंने केवल वाट्सएप पर देशभक्ति जताने वालों को जन्म दिया। 
धिक्कार है ऐसी देशभक्ति पर जो कमजोर पर हावी हो जाती है और शक्तिशाली के सामने घुटने टेक देती है। 
धिक्कार है ऐसे नेताओं पर जो चीनी लाइट और आतिशबाजी की तो होली जलाते हैं, लेकिन चीन के प्रोजेक्ट आने पर दुम हिलाते हैं। 
मां का दूध पिया है तो कलाकारों पर नहीं, सरकारों पर दवाब बनाओ। 
मर्द की संतान हो तो नतीजे सामने लाकर दिखाओ। 

आशीष कुमार 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का
निष्क्रीय हो गया कार्यकर्ता

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