भोपाल में संघ और भाजपा के बीच तनाव बरकरार, बीच के रास्ते की तलाश

भोपाल। राजधानी में संघ और भाजपा के बीच तनाव बरकरार है। राजधानी के दिग्गज भाजपाईयों ने तय कर लिया है कि संघ का हर स्तर पर सम्मान करेंगे लेकिन संघ की तरफ से बढ़ाए जा रहे भगवानदास सबनानी के नाम पर सहमति किसी कीमत पर नहीं देंगे। भाजपा के ज्यादातर दिग्गज सबनानी से नाराज हैं। वो ताज्जुब जता रहे हैं कि संघ उनका नाम क्यों आगे बढ़ा रहा है, इधर संघ सबनानी के अलावा किसी विकल्प पर विचार करने को तैयार नहीं है। 

रामेश्वर से पुराना पंगा
विधायक रामेश्वर शर्मा और भगवान सबनानी का पंगा पुराना है। जब रामेश्वर ने उत्तर से चुनाव लड़ा था तो सबनानी ने विरोध किया था। और जब सबनानी ने महापौर का चुनाव लड़ा था तो रामेश्वर पर आरोप लगे थे। चूंकि सबनानी सिंधी समाज विशेषकर बैरागढ़ की राजनीति करते हैं और रामेश्वर शर्मा यहां से विधायक है, इसलिए इनकी पटरी कभी नहीं बैठती।

गौर विरोधी हैं सबनानी 
भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और भगवानदास सबनानी का पुराना बैर है। बरखेड़ी के एक विवाद में तो गौर ने सबनानी पर कार्रवाई भी करवा दी थी। यही कारण है कि बैरागढ़ में गौर का सर्वाधिक विरोध सबनानी ही करते थे। यही नहीं इन्होंने गोविंदपुरा से टिकट भी मांगा था।

दल-बदलू है सबनानी
भगवानदास सबनानी ने भाजपा छोड़ दी थी और जनशक्ति में चले गए थे। यही नहीं एक बार भाजपा के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। भाजपाईयों का कहना है कि ऐसे दलबदलू नेता को राजधानी का जिलाध्यक्ष बना देना, निष्ठावान जमीनी कार्यकर्ताओं को निराश कर देगा। 

विधायकों पर लगाम कसना चाहता है संघ
जिला अध्यक्ष के लिए सबनानी का नाम आगे बढ़ाने के पीछे भाजपा में बढ़ती विधायकों की दखलंंदाजी रोकना है। संघ के नेता चाहते हैं कि सबनानी को अध्यक्ष बनाने से यह दखलंदाजी रूकेगी। अभी मंडल अध्यक्ष विधायकों की सुनते हैं, जिलाध्यक्ष की नहीं। पार्षदों के टिकट वितरण में भी विधायकों ने मनमानी दिखाई थी। सबनानी को आगे लाकर सिंधी समाज पर भी संघ की नजर है।

नई पीढ़ी को आगे लाना चाहते हैं आलोक शर्मा
महापौर शर्मा और सबनानी की जोड़ी चर्चित थी लेकिन आलोक शर्मा भी सबनानी को जिलाध्यक्ष के योग्य नहीं मानते। वो चाहते हैं कि जिलाध्यक्ष ऐसा हो जो संघ, भाजपा और विधायकों के बीच बेहतर तालमेल बना सके। शर्मा चाहते हैं कि नई पीढ़ी से कोई नाम सामने आए। 

इसके अलावा सांसद आलोक संजर हमेशा की तरह चुप हैं। जो बन जाएगा उसे माला पहना देंगे। विश्वास सारंग का भी अपना कोई स्टेंड नहीं है लेकिन रामेश्वर शर्मा से पक्की दोस्ती है, इसलिए सबनानी के नाम पर सहमत नहीं हैं। 

सुरेन्द्र नाथ सिंह को किसने फंसाया
इस पूरे विवाद के बीच सुरेन्द्र नाथ सिंह की समस्या कुछ और ही है। किसी ने उनका नाम आगे बढ़ा दिया। वो तनाव में हैं कि उनका नाम किसने चलाया, क्योंकि प्रदेश से व्यवस्था दी गई है कि जिलाध्यक्ष को टिकट नहीं मिलेगा। सुरेन्द्र नाथ समझ नहीं पा रहे कि वो कौन है जो उनकी सीट हथियाना चाहता है। 

मौके पर चौका मारने की जुगत में गुप्ताजी 
मंत्री उमाशंकर गुप्ता मौके का फायदा उठाने के मूड में हैं। विवाद शुरू हुआ, उन्होंने भी हवा दी। बढ़ गया तो अवसर का लाभ उठाने की तैयारी कर ली। गुप्ता अब अपने समर्थक रामदयाल प्रजापति को अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। महापौर आलोक शर्मा से उनकी अच्छी पटती है, इसलिए इसका भी फायदा उठाने की कोशिश चल रही है। 

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