भोपाल। DEMOCRATIC LAWYER FOURAM ने दावा किया है कि बालाघाट में हुआ संघ प्रचारक सुरेश यादव मारपीट कांड फर्जी है। हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में यह दावा करते हुए फोरम ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए क्रिमिनल केस को रद्द करने और संस्पेंड हुए सभी पुलिस अधिकारियों को बहाल करने की मांग की गई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार, गृह विभाग और पुलिस सहित छह को नोटिस जारी किया है। खास बात ये है कि इस मामले में पैरवी कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा करेंगे। बताया जा रहा है कि इस याचिका के पीछे पुलिस महकमे के 300 मैदानी अधिकारी एकजुट हैं। जबकि पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों का समर्थन भी हासिल है।
जानकारी के मुताबिक, टीआई जियाउल हक के आरएसएस प्रचारक सुरेश यादव की पुलिसकर्मी के जरिए कथित पिटाई के मामले में डेमोक्रेटिक लॉयर फोरम की ओर से जनहित याचिका लगाई गई है, जिसमें इस हमले को फर्जी बताया गया है। याचिका में आरोप है कि राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस पर कार्रवाई की गई है। साथ ही याचिकाकर्ताओं ने मामले में सीबीआई जांच की भी मांग रखी है। लॉयर फोरम की याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, गृह विभाग, मानव अधिकार, सीबीआई, डीजीपी, बालाघाट एसपी को नोटिस जारी किया है, जिसका एक हफ्ते में जवाब पेश करना होगा।
क्या है मामला
जानकारी के मुताबिक, जिले के बैहर में आरएसएस प्रचारक सुरेश यादव ने एक वॉट्सएप ग्रुप में एक धर्म विशेष के खिलाफ पोस्ट लिखी गई थी। मैसेज सामने आने के बाद इसकी शिकायत थाने में की गई। प्रचारक की ओर से आरोप लगाया गया है कि बालाघाट के एडिशन एसपी राजेश शर्मा एवं बैहर टीआई जियाउल हक अपने दल बल के साथ आरएसएस के दफ्तर पहुंचे और उन्होंने सुरेश यादव की जमकर पिटाई की। उन्हें घसीटकर थाने लाया गया और यहां भी रातभर पिटाई की गई। साथ ही उनकी हत्या का प्रयास किया गया। प्रचारक ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिस वालों के साथ धर्म विशेष के लोग भी थे जिन्होंने प्रचारक के साथ मारपीट की।
इस मामले में आरएसएस ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किए। बाद में एडिशन एसपी, टीआई समेत कई पुलिस अधिकारियों पर हत्या के प्रयास समेत कई संगीन धाराओं में केस फाइल किया गया। सभी आरोपियों को सस्पेंड किया गया। होमगार्ड के 2 सैनिकों को बर्खास्त कर दिया गया।