खुद को देवी मानने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी रिहाई

नई दिल्ली। चार साल पहले अपने पति, दो बच्चों की हत्या करने और अन्य सात लोगों को घायल करने वाली महिला ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि उसे बरी कर दिया जाए क्योंकि अपराध के समय उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। 30 वर्षीय महिला के कोर्ट से कहा कि उसने इस भ्रम में अपराध को अंजाम दिया था कि वह एक देवी है और किसी को भी सजा दे सकती है। 

फिलहाल वह इस जुर्म में आजीवन कारावास की सजा भोग रही है। राजवा कोल को निचली अदालत के साथ ही हाई कोर्ट ने भी इस मामले में दोषी करार दे चुकी है। राजवा ने कहा कि अपने परिवार के सदस्यों को जान से मारने का उसका कोई इरादा नहीं था।

मगर, जब एक तांत्रिक उसकी मानसिक बीमारी का इलाज कर रहा था, तो उसने पिंसर से उन पर हमला कर दिया। न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ कोल की अपील सुनने के लिए तैयार हो गई, जबकि उसे दो फैसलों में दोषी ठहराया गया है।

कोल के वकील दुष्यंत पाराशर ने दलील दी कि वह "भव्यता के भ्रम" का सामना कर रही थी, जिसके बाद में बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि अदालतों ने डॉक्टर्स की रिपोर्ट को नजरअंदाज करने से पहले कोल की स्थिति की पुष्टि कर दी।

एक विशेषज्ञ ने वारदात के तत्काल बाद ही उसकी जांच की थी। डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जब रोगी को अस्पताल में लाया गया, तो वह आक्रामक मूड में थी। वह बहुत ज्यादा बातें कर रही थी। वह असामान्य स्थिति में थी और खुद को देवी कह रही थी। उसे लग रहा था कि वह किसी को भी सजा दे सकती है।

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