होशियार ; ग्वालियर रियासत के महाराज, श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया पधार रहे हैं...

ग्वालियर। यूं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद को 'महाराज' कहलवाना पसंद नहीं करते। वो आम आदमियों में घुल मिल जाते हैं और एक सामान्य भारतीय नागरिक की तरह ही व्यवहार करते हैं परंतु परिवार की पीढ़ियों पुरानी परंपरा ने विजयदशर्मी के अवसर पर गुना-शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक बार फिर 'महाराज' के लुक में प्रस्तुत किया। 

गोरखी पैलेस में दशहरे की पूजा ग्वालियर में सिंधिया राजवंश की सदियों पुरानी परंपरा है। सिंधिया राजवंश पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस परंपरा का पालन करता आ रहा है। दशहरा के लिए ज्योतिरादित्य ने सादा कुर्ता-पायजाम को छोड़ सिंधिया राजवंश की पारंपरिक शाही पोशाक में जयविलास पैलेस से गोरखी पहुंचे। उनकी शाही पोशाक में विशेष अचकन, सिंधियाशाही पगड़ी, सोने की मूठ वाली तलवार और मोतियों की माला शामिल थी। इस पोशाक में ज्योतिरादित्य को देख कर आजादी से पहले के सिंधिया शासकों का स्वरूप साकार हो गया।

विधि विधान से करते हैं पूजा
गोरखी परिसर में सिंधिया के कुलदेवता का मंदिर है। इस मंदिर में सिंधिया ने विधिविधान से पूजा की, इस दौरान मराठा सरदार भी उनके साथ रहे। पूजा खत्म कर मराठा सरदार उनका आर्शीवाद लेने के लिए बाकायदा शाही परंपरा का अभिवादन 'मुजरा' करते हैं। पूजा के बाद सिंधिया वापस जयविलास पैलेस पहुंचते हैं, यहां दशहरे का दरबार भी लगाते हैं। दशहरे के दरबार में मराठा सरदारों के वंशजों को ही जाने की अनुमति है। हालांकि अब कुछ गणमान्य नागरिकों भी इस शाही दरबार में आमंत्रित किया जाता है। 

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