शहडोल चुनाव: कार्यकर्ता तो साथ हैं नहीं, राहुल गांधी के दम पर कैसे चुनाव जीतेंगी हिमाद्री

अनूप शर्मा/शहडोल। लीजिए, अब शहडोल लोकसभा चुनाव मे कॉग्रेस से सोनिया गॉधी, राहुल गाधी और मनमोहन सिंह प्रचार करने आ रहे है। यहॉ यह बताना जरूरी है की शहडोल मे कॉग्रेस के प्रत्याशी के पास राजनीतिक अनुभव के नाम पर कुछ भी नही है। क्या केवल किसी नेता का पुत्र या पुत्री होना जनता के विश्वास की पात्रता हो सकती है वो भी तब जब कॉग्रेस ने उन नेताओ को दरकिनार कर दिया हो। जिन्होने अपने जीवन का काफी समय कॉग्रेस की मजबूती के लिए दिया हो। 

चुनाव मे जीत कार्यकर्ताओं के बल पर तय होती है और यहॉ इसी का अभाव है। अब दिल्ली से बडे़ नेता प्रचार करने अा रहे है। प्रचार मे किस मुद्दे पर वोट मांगेगी कॉग्रेस। वैसी भी शहडोल लोकसभा की जनता के किसी एक मुद्दे पर चुनाव से पहले अगर एक भी मांगपत्र शहडोल के जिला कलेक्टर या अन्य दो जिलो के कलेक्टरो  को सौपा हो तो वो तारीख बता दे। 

कॉग्रेस केवल चुनाव के समस वोट मांगना और झूठे वादे करना अपने प्रत्याशी को युवा व पडा़ लिखा बताना इससे विकास की बातों पर विश्वास नही होता। इसी कॉग्रेस ने शहडोल से निकलने वाली गैस जो रिलायंस कम्पनी व्दारा यूपी के फूलपुर भेजी जा रही है इसका विरोध करना शुरू किया था। लोगो को रोजगार दिलाने बडे़ आंदोलन की शुरूआत की। जनता ने साथ भी दिया पर हुआ क्या। अगुआ नेता ही लापता हो गऐ (उस समय कॉग्रेस की ही लोकसभा प्रतीनिधी थी) अब वोट इसी बात पर मिलेंगे की लापता खाली हॉथ हुऐ या रिलायंस ने कुछ फूल माला दिया।

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