शहडोल चुनाव: अपने ही जाल मे खुद फस रहे शिवराज

अनूप शर्मा/शहडोल। जरा गौर कीजिऐ, शहडोल लोकसभा का उप चुनाव वहा के सांसद के निधन के कारण हो रहा है। अब बीजेपी ने जिस नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है वो अभी मघ्यप्रदेश सरकार मे कैवीनेट मंत्री है। यहॉ बात यह उठती है कि क्या बीजेपी के पास शहडोल लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कोई और आदीवासी चेहरा नही है। अगर है तो एक मंत्री को चुनाव लडाने का मतलब क्या है। इसके तो केवल दो मतलब है। एक तो यह की बीजेपी का संगठन कमजोर पड़ गया है। वह प्रत्याशी को मत्री है, बता कर चुनाव जीतने के फिराख मे है। और दूसरा यह की जब जनता ने किसी व्यक्ति को चुन कर विधानसभा भेजा है अपनी आवाज बुलंन्द करने के लिये तो बीजेपी उसे दिल्ली भेजने पर काहे आमदा है। 

कही मत्री जी के उपर ही तो हार का ठीकरा फोड़कर पहले के दो मंत्रीयो की तरह उन्हे 70 साल का घोषित तो नही कर दिया जायगा। अब यहां बात आती है शिवराज जी की तो, मामा जी आप खुद क्यो मामा बन रहे आप ने विधायक को लोकसभा का टिकट दे दिया। अब अगर वो चुनाव हार गऐ तो 2018 विधान सभा चुनाव मे भी उनके छेत्र मे इसका असर पडे़गा ओर आपकी सरकार पर भी पड़ेगा और अगर जीत गऐ तो फिर विधान सभा चुनाव के लिऐ बीजेपी को एक नया चेहरा खोजना पडे़गा। फिर उमरिया जिले मे आप को अपना दल बल भेजना पडे़गा। 

अब यहॉ बात यह उठती है की एक सीट भरने के लिऐ दूसरी सीट खाली क्यो की जा रही है। क्या आपकी सरकार और आपके विकास का जादू अपने अंतिम छोर पर है या अन्य दल अब भारी पड़ रहे आप पर जनता बार बार चुनाव नही चाहती। सरकार और आप को भी एक इम्तेहान के बाद दूसरा इम्तेहान देना पडे़गा। इतने कम समय मे दो दो इम्तेहानो मे अच्छे नं की आशा ठीक नही। इसका असर अंकतालिका पर पडे़गा।

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