आर्य समाज मंदिर के गुपचुप लवमैरिज नहीं हो पाएंगी

ग्वालियर। आर्य समाज के मंदिरों में अब प्रेम विवाह आसानी से नहीं हो सकेंगे। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने यहां होने वाले विवाहों को लेकर 12 दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत अब युवक-युवती के माता-पिता और पुलिस को विवाह कराने की पूर्व सूचना देनी होगी। इसके साथ ही लड़की की आयु वेरीफिकेशन की जवाबदेही भी मंदिर प्रबंधन की ही होगी।

आर्य समाज मंदिरों को विवाह से पहले युवक-युवती के परिजनों को उनकी फोटो सहित सूचित करना होगा। शादी के लिए परिजन की रजामंदी लेने पड़ेगी। पुलिस को भी मंदिरों में होने वाले विवाहों की निगरानी करनी पड़ेगी। वहीं कोर्ट ने सुनील रजक व मानसी सोनी के विवाह को अवैध घोषित कर दिया है और लड़की को पिता को सौंपने का आदेश दिया है।

नरेश सोनी ने हाई कोर्ट में हेबियस कॉर्पस दायर की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता गौरव समाधिया ने बताया कि नरेश सोनी की बेटी घर से गायब हो गई है। 19 अप्रैल 2016 को हुजरात कोतवाली थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन पुलिस मदद नहीं कर रही थी। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर पुलिस उनकी बेटी को जयपुर से बरामद करके ले आई और एक अगस्त को कोर्ट में पेश कर दिया।

युवती ने आर्य समाज मंदिर में किए गए प्रेम विवाह का प्रमाणपत्र कोर्ट में पेश किया था। इसके बाद कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को आर्य समाज के मंदिरों में होने वाले विवाहों की जांच करने का आदेश दिया। पुलिस ने जिले के आर्य समाज के मंदिरों की जांच कर बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की।

पुलिस की ओर से बताया गया कि एक जनवरी से 31 जुलाई तक छह महीने में आर्य समाज के मंदिरों में 270 विवाह संपन्न कराए गए हैं। इन विवाहों को रिकॉर्ड नहीं किया गया है। विवाह के नियमों का भी पालन नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सुनील रजक ने नियम विरुद्ध विवाह किया है।

मंदिर प्रबंधन के पास इनके विवाह का शपथपत्र नहीं था। साथ ही ये लोग आर्य समाज में विश्वास नहीं रखते थे। इस पर कोर्ट ने सुनील रजक व मानसी सोनी का विवाह अवैध घोषित कर दिया। पुलिस को निर्देशित किया है कि मानसी को उसके पिता के सुपुर्द कर दिया जाए।

मंदिरों के लिए जारी किए ये दिशा-निर्देश
100 रुपए के स्टाम्प पर युवक-युवती से विवाह से संबंधित शपथपत्र लेना पड़ेगा।
माता-पिता के मूल निवास स्थान का पता बताना होगा।
मंदिर को विवाह के सात दिन पहले युवक-युवती के फोटो सहित उनके माता-पिता को सूचित करना होगा।
मंदिर को निवास स्थान का वेरीफिकेशन कराना होगा।
विवाह के वक्त गवाहों से भी 100 रुपये के शपथपत्र पर जानकारी लेनी होगी कि वे उन्हें जानते हैं।
विवाह की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी करानी पड़ेगी, जिसे रिकॉर्ड में सुरक्षित रखना होगा।
लड़की की उम्र के वेरीफिकेशन के लिए 10वीं की मार्कशीट देखना जरूरी है।
विवाह के वक्त युवक-युवती को लिखकर देना होगा कि वह आर्य समाज में विश्वास रखते हैं।
सभी पुलिस अधीक्षक अपने जिलों के थाना प्रभारियों को निर्देशित करें कि वे समय-समय पर आर्य समाज के मंदिरों का रिकॉर्ड चेक करें।
अगर किसी लड़की की गुमशुदगी का मामला दर्ज होता है तो सबसे पहले आर्य समाज के मंदिरों में संपर्क करें कि उन्होंने लड़की का विवाह तो नहीं करा दिया है।

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