शिवराज सरकार को संविदा कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर दीं बद्दुआएं

भोपाल। सत्रह कैडर पद समाप्त करके तथा अप्रैजल के नाम पर हजारों संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के विरोध में हजारों संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के बैनर तले राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में धरना देकर उग्र प्रदर्शन किया। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सरकार को बद्दुआ दी कि यदि हमें वापस नहीं लिया तो जिस तरह से हमें हटाया गया है उसी तरह से ये सरकार भी आने वाले चुनाव में हटेगी। यदि संविदा कर्मचारियों को वापस नहीं लिया तो आने वाले चुनाव 2018 के बाद ये सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आयेगी। 

दैनिक वेतन भोगियों को हटाकर दिग्विजय सिंह की सरकार को बद्दुआ लगी थी, उसी तरह इस सरकार को भी संविदा कर्मचारियों की बद्दुआ लगेगी। संविदा कर्मचारियों की बद्दुआ के बाद चौथी पर दोबारा आने का सपना देख रही यह सरकार अब नहीं आयेगी क्योंकि पन्द्रह साल तक हमसे दिन रात मेहनत करवाकर सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में हजारों पुरूस्कार जीते। मेहनत हमारी नाम सरकार का हुआ। पन्द्रह साल के बाद जब हम सभी संविदा कर्मचारी अधिकारी अन्य नौकरियों से ओवरएज हो गये तो सरकार ने विसंगतिपूर्ण अप्रैजल करवाकर तथा पद समाप्त करके हजारों संविदा कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया। 

स्वास्थ्य मिशन के आला अधिकारियों ने जानबूझकर केवल संविदा कर्मचारियों का अप्रैजल करवाया, नियमित कर्मचारियों को अप्रैजल में छोड़ दिया। यदि सरकार नियमित कर्मचारियों का अप्रैजल करवाती तो सभी नियमित कर्मचारी दक्षता परीक्षा से बाहर हो जाते। क्योंकि सबसे ज्यादा काम तो संविदा कर्मचारी अधिकारी ही कर रहे हैं। यदि अप्रैजल भी सरकार सही ढंग से करवाती तो कोई भी कर्मचारी अधिकारी सेवा से बाहर नहीं होता। अप्रैजल में भी कटआफ मार्क्स 65 प्रतिशत् रखा जबकि कहीं भी उत्तीर्ण होने के लिए कटआफ मार्क्स 33 प्रतिशत होता है। स्वास्थ्य मिशन के आला अधिकारियों ने जानबूझकर संविदा कर्मचारियों को सेवा से हटाने के लिए कूटरचना रची। 

धरने को म.प्र. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने संबोधित करते हुये कहा कि हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के पास उघोगपति जो कि प्रदेश में पैसा इनवेस्ट कर रहे हैं उनको पैसा इनवेस्ट करने में कोई समस्याएं ना आएं उन समस्याओं को दूर करने के लिए तो समय है । लेकिन जिन संविदा कर्मचारियों ने  अपना जीवन गरीबों और बीमारों की सेवा करने में इनवेस्ट कर दिया कर दिया, उनको आला अधिकारियों ने सेवा से हटा दिया , उनकी बहाली की समस्या लेकर जब उनसे मिलने के लिए जाते हैं तो ना तो मुख्यमंत्री, समय है ना अधिकारियों के पास । सरकार मुगालते में ना रहे गरीबों के पास नोट जरूर नहीं होता लेकिन वोट होता है जिसके दम पर सरकार बनती है । चुनाव के समय वोट ये ही कर्मचारी और उनके परिवार देते हैं । उघोग पति नहीं । गरीब और मजदूरों के नाम पर बनी यह सरकार गरीबों और कर्मचारियों की भी समस्याओं का हल करें । अन्यथा आगामी चुनाव में परिणाम अच्छा नहीं होगा। 

मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा है कि यदि संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की बहाली नहीं की गई तो आने वाले दिनों में अस्पतालों और स्वास्थ्य विभाग में तालाबंदी कर दी जायेग। प्रदेश व्यापी हड़ताल और धरना दिया जायेगा । नीलम पार्क के धरने में प्रदेश भर के संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भाग लिया। धरने के प्रदेश के अनेक कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया। धरने के बाद कर्मचारी संगठन का एक प्रतिनिधि मण्डल स्वास्थ्य मंत्री रूस्तम सिंह से मिला रूस्तम सिंह ने कहा कि किसी कर्मचारी के साथ अप्रैजल में अन्याय नहीं होने दिया जायेगा। जिसके साथ अन्याय हुआ है हम उसको बहाल करेंगें। 

संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की प्रमुख मांगे थीं -
(1) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में अप्रैजल केे नाम पर तथा सत्रह पदों को समाप्त करने के बाद जिन संविदा कर्मचारियों को हटाया गया है उनकी बहाली की जाए।
(2) अप्रैजल प्रथा समाप्त की जाए । 
(3) यदि संविदा कर्मचारियों का अप्रैजल लिया जा रहा है तो नियमित कर्मचारियों का अप्रैजल लिया जाए दोहरे मापदण्ड अधिकारी और सरकार ना अपनाए । 
(4) समान कार्य समान वेतन दिया जाए । 
अप्रैजल में निम्नलिखित विसंगतियां थी - 
(1) अप्रैजल में नियम था कि कर्मचारियों को उसी समय उनके नम्बर बताये जायेंगें और उसकी कापी दी जाएगी । ऐसा कुछ भी नहीं किया कर्मचारियों को अपने नम्बर जानने के लिए आरटीआई लगानी पड़ी । 
(2) जिन जिलों के अधिकारी अप्रैजल में बैठे थे उन जिलों के कर्मचारियों को बाहर नहीं किया गया । 
(3) कुछ कर्मचारी ऐसे थे जिनको पहले फेल किया गया । पैसे लेने के बाद उनको पास कर दिया गया। 
(4) भोपाल संभाग में जो टीम बनाई गई थी । उनमें से कुछ अधिकारी वो थे ही नहीं उनके स्थान पर कोई और बैठे हुये थे । 
(5) विभाग के द्वारा 2015-16 के कार्य के आधार पर अप्रैजल लिया जाना था । भोपाल संभाग के दल ने आदेश जारी कर 2016-17 के कार्य के आधार पर अप्रैजल में अपने काम-काज की जानकारी लेकर बुला लिया । 
(6) जो अप्रैजल टीम के मेंम्बर नहीं थे । और उनके द्वारा साक्षात्कार लिया गया । भोपाल संभाग में डा यू.एस. यादव एपराईजल टीम में शामिल थे बाद में जब नंबर सीट प्राप्त हुई तो उसमें डा. यादव के स्थान पर अन्य किसी के हस्ताक्षर थे। 

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