भोपाल अग्निकांड: 5 फैक्ट्रियां थीं चपेट में, आसमान पर धुआं ही धुआं, 10 घंटे बाद काबू

भोपाल। इस हादसे ने राजधानी में आपातकालीन सेवाओं की पोल खोलकर रख दी है। रात 2 बजे से धधकी आग 4 बजे तक निर्वाध रूप से फैलती रही। सूचना के बावजूद सरकार का एक भी नुमांइदा मौके पर नहीं था। सुबह आए भी तो ऐसे मानो रावण का पुतला बुझाने आए हों। 9 बजे के आसपास ठीक प्रकार से रेस्क्यू चला और करीब 10 घंटे बाद काबू पाया जा सका। इस दौरान 5 फैक्ट्यिां चपेट में आ गई। एक तीन मंजिला फैक्ट्री को भरभराकर नीचे ही गिर गई। करोड़ों का नुक्सान हो गया। 

छोला रोड स्थित पुराने कबाड़ खाने में सोमवार तड़के करीब 2 बजे प्लास्टिक फैक्टरी में भड़की आग के कारण आधा शहर धुएं के गुबार में ढक गया। 70 साल के इतिहास में कबाड़ खाने की यह सबसे भीषण आग बताई जाती है। आग की भयावहता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अशोका गार्डन इलाके में लोगों की सुबह नींद खुली तो चारों तरफ धुआं ही धुआं नजर आ रहा था।

लोग छत पर खड़े होकर यह नजारा देख रहे थे। कई फीट ऊंची आग की लपटों के कारण शहर में हड़कंप मच गया। लोग अपने-अपने तरह से आग बुझाने में लगे हुए थे, लेकिन देखते ही देखते आग की लपटों में एक के बाद एक 5 फैक्टरियां घिर गई।

नगर निगम की डेढ़ सौ से अधिक फायर ब्रिगेड को आग बुझाने के लिए 10 घंटे तक मशक्कत करना पड़ा। जब तक आग पर काबू पाया जाता चारों तरफ राख के ढेर लग चुके थे। आग के कारण तीन मंजिला फैक्टरी भी भरा-भराकर गिर गई। गनीमत तो यह रही है कि हादसे में कोई भी हताहत नहीं हुआ। आग से करीब तीन से चार करोड़ के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। आग शॉर्ट सर्किट से लगना बताई जाती है।

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