48 हजार दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण फिर अटका | कर्मचारी समाचार

भोपाल। मप्र के 48 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के साथ शिवराज सरकार लगातार क्रूर मजाक कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में केस हार चुकी शिवराज सरकार, बार बार आखें दिखाती है, शर्तें लगाती है, नियम बदलती है और कुल मिलाकर छल कर रही है। कैबिनेट में नियमितीकरण के बजाए नियमित वेतनमान पास कर दिया और अब शर्त लगा दी कि आदेश तब जारी होगा जब कोर्ट में चल रहे केस वापस ले लिए जाएं। 

सूत्रों के मुताबिक दैवेभो को नियमित वेतनमान देने की नई योजना में ये प्रावधान रखा गया है कि कोर्ट केस लगाने वाले कर्मचारियों को पहले केस वापस लेने होंगे। कुछ कर्मचारियों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

इस पर कोर्ट ने मुख्य सचिव अंटोनी डिसा को नोटिस जारी किया था। इसके बाद निर्माण विभाग ने कुछ कर्मचारियों को नियमित कर दिया, लेकिन केस अभी भी चल रहा है। सरकार की ओर से कोर्ट में सभी कर्मचारियों को पद उपलब्ध होने पर नियमित करने और कर्मचारियों के हित में कदम उठाने का शपथ पत्र देकर भरोसा दिलाया है।

इसके बाद कर्मचारियों को नियमित वेतनमान सहित अन्य सुविधाएं देने का फैसला कैबिनेट में लिया गया। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की वेतनमान, महंगाई भत्ता, ग्रेच्युटी सहित अन्य सुविधाएं देने का फैसला ले लिया है। ऐसे में सरकार के खिलाफ कोर्ट में केस का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। यही वजह है कि नई योजना में ये शर्त शामिल की गई है कि केस वापस लेने पर ही कर्मचारियों को योजना का लाभ मिलेगा। सामान्यत: ऐसे मामलों में सरकार फैसले लेने के बाद कोर्ट में​ क्रियान्वयन संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करती है और कोर्ट केस को डिसमिस कर देता है परंतु इस मामले में केस वापस लेने की शर्त लगाना किसी 'छुपी हुई चाल' का संकेत दे रही है। 

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