10 लाख कर्मचारियों का 7वां वेतनमान अटका

भोपाल। मप्र के करीब 10 लाख शासकीय कर्मचारी एवं पेंशनर्स का 7वां वेतनमान अटक गया है। शिवराज सरकार के अधिकारियों की सुस्ती कर्मचारियों पर भारी पड़ सकती है क्योंकि शहडोल लोकसभा उपचुनाव का ऐलान हो गया है। आचार संहिता लागू है और 7वां वेतनमान का प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूर नहीं हुआ है। 

शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा उपचुनाव की घोषणा का असर सरकार के कई प्रस्तावित कार्यक्रमों पर पड़ने की संभावना है। 11 नवंबर से प्रस्तावित नर्मदा यात्रा स्थगित करना पड़ेगी। वहीं, प्रदेश के अधिकारियों-कर्मचारियों को दिए जाने वाले सातवें वेतनमान का फैसला भी खटाई में पड़ गया है। 25 और 26 अक्टूबर को होने वाले कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस को लेकर भी असमंजस की स्थिति बन गई है।

सरकार ने देवउठनी ग्यारस यानी 11 नवंबर से अनूपपुर जिले में आने वाले नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से यात्रा निकालने की तैयारी की थी। तब तक जिले में आचार संहिता प्रभावी रहेगी, इसलिए ऐसा कोई भी काम अब संभव नहीं है, जिसके राजनीतिक मायने निकलें। मंत्रालय सूत्रों ने बताया अब यात्रा शहडोल लोकसभा उपचुनाव के बाद शुरू की जाएगी। 

वहीं, प्रदेश के लाखों अधिकारियों-कर्मचारियों को दिया जाने वाला सातवां वेतनमान भी खटाई में पड़ गया है। यदि सरकार को दीपावली के पहले इसका अधिकृत निर्णय करना है तो अब पहले चुनाव आयोग की इजाजत लेनी होगी। बताया जा रहा है कि सरकार अगली कैबिनेट बैठक में वेतनमान को लेकर प्रस्ताव लाने की तैयारी में थी। इसके लिए प्रस्ताव मुख्य सचिव को भेजा भी जा चुका है। 

इसी तरह 25-26 अक्टूबर को नर्मदा भवन में होने वाली कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी। यदि अनुमति मिल भी जाती है तो भी शहडोल संभाग के कमिश्नर, आईजी, कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक इसमें हिस्सा नहीं ले पाएंगे। बैठक को लेकर अंतिम फैसला एक-दो दिन में मुख्यमंत्री करेंगे।

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